गरीब की बेटी ने रचा इतिहास, खास बना यह गांव, जानिए कौन है मानवी

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हमारे देश भारत में आज भी कई जगहों पर बेटे और बेटी में फर्क किया जाता है। आज भी कई लोग बेटियों को उनके गर्भ में ही मार देते हैं। बेटियों को गर्भ में ही मारने वालों के लिए एक मिसाल उत्तर प्रदेश की बेटी मानवी है। अब मानवी गांव को उनके नाम से जाना जाता है। मानवी का नाम लेते ही लोग उसके गांव का नाम बता देते हैं। एक मजदूर की बेटी दो करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति के साथ अमेरिका में पढ़ती है। जैसे ही उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की, उन्हें न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय बाजार पर नजर रखने की एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। न केवल उसके परिवार के सदस्य बल्कि पूरे गांव के लोग मानवी के गांव वापस आने के लिए बेताब हैं।

रजबपुर थाना क्षेत्र का एक छोटा सा गांव धनौरी माफी चर्चा में है। इसी गांव के रहने वाले बृजपाल चौधरी के एक बेटा और तीन बेटियां हैं. वह इसी तरह अपना घर चलाता था। उन्होंने खुद पढ़ाई की थी और न ही उनकी जीवन साथी सुनीता ने। अपने बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा के लिए उन्होंने गांव के ही 1 प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश लिया। उनकी बड़ी बेटी मानवी पढ़ाई में बहुत तेज थी। उन्होंने उसे पांचवीं कक्षा के बाद बुलंदशहर के पहले बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया।

इसमें प्रवेश पाने के लिए ब्रजपाल ने मानवी को प्रवेश परीक्षा दी। अच्छे प्रदर्शन के कारण उन्हें यहां प्रवेश मिला। वर्ष 2016 में कॉलेज में प्रथम स्थान के साथ इंटर पास किया। पढ़ाई के प्रति उनके समर्पण से प्रभावित होकर शिक्षकों ने उनका मार्गदर्शन किया। उसे इस छात्रवृत्ति की परीक्षा पहली बार में ही पास करके दिखाओ।

पूरे जिले में मानवी की सफलता की चर्चा है। उनके पिता का कहना है कि मानवी जैसी बेटी कई किताबों का भविष्य संवारती है। मानवी साबित करती है कि बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से कम नहीं होती हैं। मानवी ने साबित कर दिया कि बेटियां चाहें तो कुछ भी कर सकती हैं।

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