उत्तर प्रदेश ।। यूपी में बिजली महंगी होने से शहरी और औद्योगिक से लेकर गांवों तक बिजली दरों में इजाफा हुआ है। वहीं, बिजली दरों में इस बढ़ोत्तरी को लेकर प्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है।
इस मुद्दे पर बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा ने उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार द्वारा बिजली की दरों में वृद्धि के फैसले पर नाराजगी जताते हुए इसे जनविरोधी बताया है। उन्होंने सरकार से अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है।उधर, बसपा सुप्रीमो मायावती के ट्वीट पर जवाब देते हुए यूपी के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि ये सपा-बसपा के पाप रहे कि भ्रष्टाचार बढ़ता गया और बिजली कंपनियां भारी घाटे में चली गईं। सपा-बसपा के कार्यकाल में सिर्फ दरें बढ़ती थीं।
BJP के कार्यकाल में दरें कम और बिजली आपूर्ति के घंटे ज्यादा बढ़े हैं। सरकार ने बढ़ती दरों से गरीब को मुक्त रखा है। उन्होने कहा कि पूर्व की सरकारों की आर्थिक अनियमितताओं का वजह से मजबूरीवश कुछ श्रेणियों की बिजली दरों में आंशिक बढ़ोतरी करनी पड़ी है।मंत्री ने बताया कि अब जिलों को 24, तहसील को 20 और गांव को 18 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है।
पूर्व सरकारों के दौरान बिजली सिर्फ चहेते जिलों , जिसे पूर्व सरकार पूरा नहीं कर पा रही थी। लेकिन अब 21,950 मेगावाट की डिमांड पूरी हो रही है और ग्रिड की क्षमता बढ़ाई जा रही है। इसके अलावा 66,320 किलोमीटर की जर्जर लाइन बदलने पर तेजी से काम हो रहा है।
इतना ही नहीं पूर्व की सरकारों के भ्रष्टाचार के चलते बिजली दरों में लगभग 11.50% की ही बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही 4.50 फीसदी रेग्युलेटरी चार्ज समाप्त हुआ है, यानी लगभग 7.40 फीसदी की ही बढ़ोतरी हुई है। वहीं प्रदेश में 40 फीसदी बिजली आपूर्ति बढ़ी है।