Pradosh Vrat: इस डेट को है प्रदोष व्रत ? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

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कहते हैं भगवान शिव सिर्फ एक लोटे जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। यही वजह है कि उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के किले भक्त प्रदोष व्रत भी रखते हैं। कहते हैं इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। प्रदोष का व्रत हर महीने दोनों पक्षों को त्रयोदशी को रखा जाता है। इस साल चैत्र पक्ष के शुक्ल पक्ष त्रयोदशी 14 अप्रैल दिन गुरुवार के दिन पड़ रहा है।

Pradosh Vrat

गुरुवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत भी कहते हैं। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन प्रदोष व्रत करने से भगवान शंकर के साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। आइये जानते हैं इस महीन में कब है प्रदोष व्रत व पूजन का शुभ मुहूर्त।

चैत्र मास का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?

हिंदू पंचांग में बताया गया है कि त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है। चैत्र माह का दूसरा प्रदोष व्रत 14 अप्रैल दिन गुरुवार को रखा जाएगा। त्रयोदशी तिथि 14 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 15 अप्रैल दिन शुक्रवार की सुबह 03 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा का उत्तम मुहूर्त शाम 06 बजकर 42 मिनट से रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। वहीं इस महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 28 अप्रैल दिन गुरुवार को पड़ेगा।

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  • इसके बाद घर के मंदिर में दीप जलाएं और अगर संभव है तो व्रत रखें।
  • भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें, फिर उन्हें पुष्प अर्पित करें।
  • इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा करना भी शुभ होता है। मान्यता है कि
  • किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
  • इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं।
  • भगवान शिव की आरती करें और उनका अधिक से अधिक ध्यान करें।

व्रत का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि चैत्र मास का दूसरा प्रदोष व्रत विधि-विधान से रखने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कर्ज से छुटकारा मिलता है। शिव कृपा से आर्थिक स्थिति मजबूत होने लगती है।

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