प्रणव पांड्या केसः नाबालिग से दुराचार मामले में हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश

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नैनीताल। हाईकोर्ट में पूर्व आदेश के क्रम में 2010 से 2014 के बीच नाबालिग के साथ हुए दुराचार करने के मामले में राज्य सरकार द्वारा कोर्ट के आदेश के बाद CRPC की धारा 161 व 164 में पीड़ित के बयान दर्ज कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश की गई। इसके बाद कोर्ट ने तीन माह में जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अधिवक्ता विवेक शुक्ला ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 2010 से 2014 में छत्तीसगढ़ के एक गरीब माता पिता ने अपनी नाबालिग 14 वर्ष की पुत्री को देहरादून निवासी प्रणव पांड्या और उनकी पत्नी के यहां काम करने के लिए छोड़ा था।

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प्रणव पांड्या ने 14 साल की नाबालिग के साथ कई बार दुराचार किया, जिसकी शिकायत पीड़ित ने उनकी पत्नी से की तो उसने नाबालिग को डरा धमकाकर उसका मुंह बंद करा दिया। याचिकाकर्ता की ओर से मांग की गई कि इनका खाता सील करने के साथ ही उत्तराखंड में इनके द्वारा संचालित की जा रही चार्टर्ड यूनिवर्सिटी पर भी कार्यवाही की जाए। याचिकाकर्ता का कहना था कि पांड्या शान्तिकुज आश्रम के प्रमुख श्रीराम शर्मा के दामाद है। पीड़ित ने पांड्या की पत्नी शैलजा के खिलाफ दिल्ली के विवेक विहार में भी जीरो एफआईआर दर्ज कराई थी।

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