देश को राजनीतिक संकट से निकालने के लिए नेपाल में नेताओं ने किया ये, नहीं पहुंचे प्रधानमंत्री ओली

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काठमांडू॥ नेपाल में बीते कई दिनों से जारी राजनीतिक संकट के बीच प्रतिनिधि सभा (संसद) के स्पीकर ने शुक्रवार को सभी दलों के नेताओं की मीटिंग बुलाई। हालांकि इस मीटिंग में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नहीं पहुंचे। फिलहाल नेपाल में राष्ट्रपति के फैसले के विरूद्द सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ये मीटिंग देश को राजनीतिक संकट से निकालने के अलग अलग तरीकों पर विचार के लिए बुलाई गई थी।

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खबर के मुताबिक स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोता ने इस मीटिंग में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को भी आमंत्रित किया था लेकिन वह नहीं आए। वहीं इस मीटिंग में नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा, सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के नेता माधव कुमार नेपाल व झालानाथ खनाल, जनता समाजवादी पार्टी के उपेंद्र यादव और बाबूराम भट्टाराई समेत कई नेता भाग लेने पहुंचे। सपकोता इससे पहले कई पूर्व स्पीकरों और कानून के जानकारों से भी प्रतिनिधि सभा के भंग होने के विषय पर चर्चा कर चुके हैं।

भंग करने की सिफारिश राष्ट्रपति ने मानी

संसद को भंग करने की सिफारिश अल्पमत सरकार के प्रधानमंत्री की ओर से की गई थी। प्रधानमंत्री ओली 13 मई को प्रतिनिधि सभा में खुद विश्वास मत हारने के बाद इस्तीफा दिया था। दोबारा प्रधानमंत्री नियुक्त किए जाने के बाद नियमानुसार सबसे पहले प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल करने की जगह ओली ने उसे भंग करने की सिफारिश कर डाली, जिसे राष्ट्रपति ने मान लिया।

प्रेसिडेंट द्वारा नेपाल में चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद पिछले सप्ताह कार्यवाहक प्रधानमंत्री ओली ने मंत्रिमंडल का विस्तार भी कर डाला। हालांकि ओली के इस असंवैधानिक कदम की भी व्यापक निंदा हुई। नेपाल में फरवरी में सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के संसद भंग करने के फैसले को पलट चुका है। माना जा रहा है कि अगर शीर्ष न्यायालय से फिर से ऐसा ही फैसला आया तो लोकतांत्रिक देश के रूप में नेपाल की इज्जत को बट्टा लगेगा।

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