कोरोना वैक्सीन की सक्सेस को लेकर उठे सवाल पर पुतिन ने कही ये बात, दो हफ़्ते में…

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नई दिल्ली. कोरोना वैक्सीन को लेकर पूरी दुनिया होड़-सी मची है कि सबसे पहले कौन सा देश वैक्सीन लांच करेगा. यहाँ रूस ने सबसे पहले बाज़ी मार ली. हालाँकि वैक्सीन के दावों पर कई देशों ने शंका जताई है. वहीँ कोरोना के अपने टीके को लेकर उठी अंतरराष्ट्रीय चिंताओं को ख़ारिज करते हुए रूस ने इसे ‘बिल्कुल बेबुनियाद’ बताया है.

russiya corona vaccine

बता दें कि बीते मंगलवार को रूस ने ये दावा किया था कि उसने अपने यहाँ एक टीका बना लिया है जिसका उसने इंसानों पर लगभग दो महीने परीक्षण किया गया और फिर इसे मंज़ूरी दे दी गई.

लेकिन जानकारों ने रूस के इतनी तेज़ी से टीका बना लेने के दावे पर संदेह जताया है. जर्मनी, फ़्रांस, स्पेन और अमरीका में वैज्ञानिकों ने इसे लेकर सतर्क रहने के लिए कहा. वहीँ अमरीका में देश के सबसे बड़े वायरस वैज्ञानिक डॉक्टर एंथनी फ़ाउची ने भी रूसी दावे पर शक जताया है.

इसके बाद रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराश्को ने बुधवार को रूसी समाचार एजेंसी इंटरफ़ैक्स से कहा, “ऐसा लगता है जैसे हमारे विदेशी साथियों को रूसी दवा के प्रतियोगिता में आगे रहने के फ़ायदे का अंदाज़ा हो गया है और वो ऐसी बातें कर रहे हैं जो कि बिल्कुल ही बेबुनियाद हैं”.

रूसी मंत्री ने कहा कि इस टीके की पहली खेप अगले दो हफ़्तों में आ जायेगी और पहले ये मुख्य तौर पर डॉक्टरों को दिया जायेगा. रूसी अधिकारियों ने कहा है कि उनकी योजना है कि अक्तूबर महीने से बड़ी संख्या में लोगों का टीकाकरण शुरू हो जायेगा.

रूस के टीका बना लेने की घोषणा मंगलवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने की थी जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनके वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की ऐसी वैक्सीन तैयार कर ली है जो कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ कारगर है.

उन्होंने कहा था कि इस टीके का इंसानों पर दो महीने तक परीक्षण किया गया और ये सभी सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा है. पुतिन ने साथ ही ये भी कहा था कि ये टीका उनकी बेटी को भी दिया गया है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि वो रूसी अधिकारियों से इस टीके की समीक्षा करने के लिए संपर्क कर रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन अभी छह टीकों पर नज़र रखे हुए है जिनका विकास हो रहा है और उनमें रूस का ये टीका शामिल नहीं है जिसका नाम स्पूतनिक बताया गया है.

जिन 6 टीकों पर काम चल रहा है उनका विकास तीसरे चरण में है जिसमें इंसानों पर बड़ी संख्या में परीक्षण किया जाता है. रूसी टीके के दावे पर ख़ास तौर पर अमरीका और यूरोप में सवाल उठाए जा रहे हैं.

जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेन्स स्पान ने कहा, “लाखों लोगों को टीका देना शुरू कर देना एक ख़तरनाक बात है क्योंकि अगर गड़बड़ हुई तो फिर टीके पर से लोगों का भरोसा मर जायेगा.”

उन्होंने कहा,”जितना हमें पता है, उससे लगता है कि इस टीके का समुचित परीक्षण नहीं हुआ है…बात केवल सबसे पहले टीका बना लेने की नहीं है, ज़रूरी ये है कि एक सुरक्षित टीका बनाया जाये.”

वहीं फ़्रांस के नेशनल सेंटर फ़ॉर साइंटिफ़िक रिसर्च की रिसर्चर इसाबेल इम्बर्ट ने अख़बार ‘ला पेरिसियों’ से कहा कि इतनी जल्दी इलाज का दावा कर देना बहुत ही ख़तरनाक” हो सकता है.

डॉक्टर फ़ाउची ने नेशनल जियोग्राफ़िक से कहा, “मैं उम्मीद करता हूँ कि रूसी लोगों ने निश्चित तौर पर परखा है कि ये टीका सुरक्षित और असरकारी है. मुझे पूरा संदेह है कि उन्होंने ये किया है.”

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