मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई की गरीब कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पर बवाल, ऑडियो वायरल

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी का सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति विवादों के घेरे में आ गई है। इस सन्दर्भ में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट भी वायरल हो रही है। इस पोस्ट के मुताबिक बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई की नियुक्ति गरीब कोटे से हुई है। इस पोस्ट पर लोग जमकर भड़ास निकालने के साथ ही नियुक्ति पर सवाल भी उठा रहे हैं।

बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई के भाई के गरीब कोटे से यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सवाल उठाया है। प्रियंका गांधी ने कहा कि इस संकटकाल में यूपी सरकार के मंत्रीगण आम लोगों की मदद करने से तो नदारद दिख रहे हैं लेकिन आपदा में अवसर हड़पने में पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि लाखों युवा यूपी में रोजगार की बाट जोह रहे हैं, लेकिन नौकरी “आपदा में अवसर” वालों की लग रही है। ये गरीबों और आरक्षण दोनों का मजाक बना रहे हैं।

प्रियंका गांधी ने कहा कि ये वही मंत्री महोदय हैं जिन्होंने चुनाव ड्यूटी में कोरोना से मारे गए शिक्षकों की संख्या को नकार दिया और इसे विपक्ष की साज़िश बताया। क्या मुख्यमंत्री जी इस साज़िश पर कोई ऐक्शन लेंगे?

दरअसल बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी के भाई डॉ अरुण द्विवेदी का चयन आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी (ईडब्लयूएस) कोटे में मनोविज्ञान विभाग में हुआ है। सतीश द्विवेदी जिले की ही इटवा सीट से विधायक हैं। डॉ अरुण द्विवेदी शुक्रवार को ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर ज्वाइन किया है। मंत्री के भाई का ईडब्लयूएस अभ्यर्थी के कोटे में नियुक्ति पर लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि मंत्री के भाई गरीब कैसे हो सकते हैं?

इस सन्दर्भ में सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे का कहना है कि मनोविज्ञान में लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे। इसमें से मेरिट के आधार पर 10 आवेदकों का चयन किया गया, जिसमे अरुण कुमार द्विवेदी भी थे। 10 लोगों के इंटरव्यू में अरुण दूसरे स्थान पर रहे। कुलपति ने बताया कि इंटरव्यू एवं एकेडमिक तथा अन्य अंको को जोड़ने पर अरुण पहले स्थान पर आए और उनका चयन किया गया। अरुण कुमार द्विवेदी ले शैक्षिक प्रमाण पत्र सही थे। इंटरव्यू की वीडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध है। सोशल मीडिया के माध्यम से मुझे जानकारी हुई कि वह बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई हैं।

कुलपति ने कहा कि ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र प्रशासन जारी करता है। अगर ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र फर्जी हुआ तो वह निश्चित रूप से दंड के भागी हैं। इस प्रकरण में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी की तरफ से अभी तक किसी प्रकार की टिप्पणी नहीं आई है।

गौरतलब है कि यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी की संवेदनहीनता के कई किस्से हैं। आजकल उनका एक ऑडियो वायरल हो रहा है। इस ऑडियो में 69 हजार शिक्षक भर्ती के एक अभ्यर्थी से समस्या बताने के लिए मंत्री जी को फोन किया। मंत्री ने जैसे भर्ती का नाम सुना वैसे ही नाराज हो गए और समाधान की जगह अभ्यर्थी को डांटते हुए कहा कि तुम लोगों के नाते मैंने वाट्सएप बंद कर दिया है, ये नंबर भी बंद कर दूंगा।

इसी तरह पिछले जनवरी माह में 69 हजार शिक्षक भर्ती के कुछ अभ्यर्थी मंत्री जी के राजधानी स्थित आवास के परिसर में पहुँच गए। कुछ देर बाद मंत्री जी आये और अभ्यर्थियों को डांटते हुए कहा कि तुम लोग कभी भी चले आते हो। आखिर में मेरे भी तो बच्चे हैं। तुम लोग आवास घेर लेते हो मेरे बच्चों पर क्या बीतती होगी ?

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