राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला, कहा – लॉकडाउन के चारों चरण फेल, आगे की रणनीति के बारे में देशवासियों को बताएं पीएम

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नई दिल्ली। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर मोदी सरकार पर जोरदार हमला किया है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चारों चरण फेल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले 21 दिनों का लॉकडाउन किया, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ। अब पीएम मोदी को आगे की रणनीति के बारे में देशवासियों को बताना चाहिए। राहुल ने कहा क़ि पहले तीन बार फ्रंटफुट पर खेलने के बाद अब प्रधानमंत्री देश को दिखाई नहीं दे रहे हैं। प्रधानमंत्री बैकफुट पर चले गए हैं, मैं विपक्ष से होकर कह रहा हूं कि वो फिर से फ्रंट पर आएं।

राहुल गांधी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मीडिया से मुखातिब थे। उन्होंने कहा क़ि लॉकडाउन को लागू हुए करीब 60 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन ये महामारी घटने के बजाय दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा क़ि प्रवासी मजदूर परेशान हैं। सरकार उनकी परेशानियों और मुसीबतों को कैसे दूर करेगी? सरकार की रणनीति के बारे में देश को मालूम होना चाहिए।

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मोदी सरकार द्वारा विपक्ष को गंभीरता से न लेने वाले एक सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि हमारा काम सरकार पर दबाव डालना है। मैंने फरवरी में ही कह दिया था कि हालात और खतरनाक होंगे। उन्होंने कहा क़ि आर्थिक मोर्चे पर सरकार को अभी बहुत काम करने की जरूरत है। सरकार को लोगों को नकद देना चाहिए। सरकार कम से कम 50 फीसदी गरीबों के खाते में 7500 रुपए हर महीना डाले।

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राहुल गांधी ने कहा क़ि प्रधानमंत्री राहत पैकेज को लेकर हमें हमें बहुत उम्मीदें थीं। पैकेज को लेकर कई प्रेस कॉन्फ्रेंस हुईं। पीएम ने कहा कि यह जीडीपी का 10% होगा, जबकि वास्तविकता यह है कि ये जीडीपी के एक प्रतिशत से भी कम है। जो कुछ है, उसमें भी ज्यादातर लोन है, नकद नहीं। राहुल ने कहा क़ि ये राजनीति नहीं, मेरी चिंता है। बीमारी बढ़ती जा रही है, इसलिए ये सवाल मैं पूछ रहा हूं।

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प्रवासी मजदूरों को लेकर एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा क़ि मेरा मानना है कि लोग पहले भारतीय हैं और फिर किसी राज्य के हैं। उन्होंने कहा क़ि कोई राज्य के बाहर जाकर काम करना चाहता है, ये फ़ैसला किसी मुख्यमंत्री को नहीं बल्कि उस व्यक्ति को लेना है।
हर भारतीय के पास देश में कहीं भी जाकर अपने सपने पूरे करने का अधिकार हैं। ये लोग उत्तर प्रदेश की संपत्ति नहीं हैं, बल्कि भारत के नागरिक हैं। हमारा काम ये तय करना कि वो कहां काम करेंगे, कहां नहीं।

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