नई दिल्ली॥ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि जिस तरह एयरफोर्स ने बहुत ही प्रोफेशनल ढंग से बालाकोट में एयर स्ट्राइक की थी, उसी तरह पूर्वी लद्दाख में भी वायुसेना ने अपनी तैनाती करके कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भारतीय वायुसेना की भूमिका महत्वपूर्ण है। कोविड-19 महामारी के दौरान भी वायुसेना का योगदान सराहनीय रहा है। रक्षा मंत्री का कहना है कि आईएएफ को किसी भी स्थितियों को संभालने के लिए तैयार रहना चाहिए।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वायु सेना कमांडरों के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन बुधवार को वायु मुख्यालय (वायु भवन) में किया।रक्षा मंत्री ने वायु सेना के कमांडरों को संबोधित करते हुए पिछले कुछ महीनों में अपनी परिचालन क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय वायुसेना की सेवाओं को सराहा।
उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन की तैनाती के जवाब में भारतीय वायुसेना ने जिस तरह तेजी से तैनाती की, उसने बालाकोट में हवाई हमलों की तरह प्रतिकूल संदेश दिया है। रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर डी-एस्केलेशन के लिए चल रहे प्रयासों की सराहना की और भारतीय वायुसेना से किसी भी स्थिति को संभालने के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।
उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान कई मिशनों के दौरान निभाई गई भूमिका और किए गए महत्वपूर्ण योगदान के लिए भारतीय वायुसेना की प्रशंसा की। उन्होंने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर होने पर जोर देते हुए कहा कि इस सम्मेलन का विषय ’अगले दशक में आईएएफ’ आने वाले दिनों में स्वदेशीकरण के प्रयासों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयुक्त है।
उन्होंने कहा कि सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) की नियुक्ति और सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) बनने के बाद से तीन सेवाओं के भीतर तालमेल और एकीकरण बढ़ाने की दिशा में काफी प्रगति हुई है। रक्षा मंत्री ने प्रौद्योगिकी में बदलाव के लिए आईएएफ की भूमिका को स्वीकार करने और नैनो प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, साइबर और अंतरिक्ष डोमेन में उभरती क्षमताओं को अपनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कमांडरों को आश्वासन दिया कि सशस्त्र बलों की सभी वित्तीय जरूरतें पूरी की जाएंगी।