सुप्रीम कोर्ट में रामलला के वकील ने कहा- हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या राम का जन्मस्थान

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उत्तर प्रदेश।। बाबरी मस्जिद,राम जन्मभूमि विवाद मामले की सुनवाई कर रहे सुर्पीम कोर्ट के वकील ने छठे दिन बुधवार को रामलला विराजमान के वकील ने कहा है कि हिंदुओं का विश्वास है कि आयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके तर्कसंगत होने की जांच के लिये इसके आगे नहीं जाना चाहिए।

रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सी एस वैद्रयनाथन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष आगे दलीलें पेश कीं है। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति, डी वाई चंद्रचूड , न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।

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वैद्रयनाथन ने पीठ से कहा , हिंदुओं का विश्वास है कि अयोध्या भगवान राम का जन्म स्थान है और न्यायालय को इसके आगे जाकर यह नहीं देखना चाहिए कि यह कितना तार्किक है। वकील स़़ी.एस. वैद्रयनाथन ने तर्क दिया है कि अकबर और जहांगीर के वक्त में हिंदुस्तान आने वालों शुरूआती लोगों में विलियम फिंच और विलियम हॉकिन्स थें। उन्होनें अपने लेखों में अयोध्या का जिक्र किया है। वैद्रयनाथन ने आगे कहा कि विलियम फोस्टर की किताब अर्ली ट्रैवल्स इन इंडिया में 7 अंग्रेज यात्रियों का जिक्र है , किताब में अयोध्या और राम मंदिर के बारे में भी बताया गया है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि भगवान राम की जन्मस्थली अपने आप में देवता है और मुस्लिम 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर अधिकार होने का दावा नहीं कर सकते क्योंकि संपत्ति को बांटना ईश्वर को नष्ट करने और उसका भंजन करने के समान होगा।

राम लला विराजमान के वकील पीठ के उस सवाल का जवाब दे रहे थे। जिसमें पूछा गया था कि अगर हिंदुओं और मुसलमानों का विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवादित स्थल पर संयुक्त कब्जा था, तो मुस्लिमों को कैसे बेदखल किया जा सकता है।

संविधान पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के विरूद्ध दायर 14 अपीलों पर सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने चार दीवानी मुकदमों पर अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या में 2.77 एकड़ भूमि को तीनों पक्षों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला-के बीच समान रूप से विभाजित किया जाना चाहिए।

फोटो- फाइल

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