रथयात्रा महोत्सव: चांदी के रथ में विराजे गौर गोविंद, शान से निकली ठाकुरजी की सवारी

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जयपुर। जयपुर के आराध्यदेव गोविंददेवजी मंदिर में मंगलवार सुबह-सुबह रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस मौके पर मंदिरों में उत्सव की झांकियां सजाई गई। हालांकि,केंद्र सरकार की गाइडलाइन के कारण इस बार रथयात्रा उत्सव के दौरान भक्तों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया और न ही भक्तों को भगवान का रथ खींचने का सौभाग्य मिला। भक्तों को ऑनलाइन दर्शन किए।

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मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में ठाकुरजी का अभिषेक कर सुबह सात बजे मंदिर के गर्भ गृह के पश्चिम द्वार से निज मंदिर की परिक्रमा कराई गई। चांदी रथ में गौर गोविंद के विग्रह विराजमान कर मंदिर के सेवक हरिनाम संकीर्तन के साथ परिक्रमा कराते रहे। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और प्रबंधक मानस गोस्वामी ने रथ को खींचा। रथ में अष्ट धातु निर्मित गौर-गोविंद का विग्रह पर जयकारों और भजनों की मधुर स्वर लहरियों के बीच पुष्प वर्षा की गई। चार परिक्रमा करा गौर गोविंद को फिर से गर्भगृह में विराजमान कराया गया।

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मंदिर प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते किए गए लॉकडाउन से श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश निषेध रखा गया है। श्रद्धालुओं को रथायात्रा उत्सव के दर्शन ऑनलाइन करवाए गए। उन्होंने बताया कि गौर गोविंद का विग्रह अष्ट धातु का है, जो गोविंददेवजी के दायीं ओर प्रतिष्ठित है। यह विग्रह गौरांग महाप्रभु ने उड़ीसा के नीलाचंल से अपने प्रिय काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन में अपने प्रिय शिष्य रूप गोस्वामी के पास भिजवाया था।

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जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित द्वारकाधीश मंदिर में भी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। यहां मंदिर में ठाकुर जी का विशेष श्रृंगार किया गया। इसके बाद भजन-पूजन और मंत्रोच्चार के बीच रथयात्रा का स्वरूप तैयार कर परिक्रमा को मूर्त रूप दिया गया।

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चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर मंदिर में भी रथयात्रा महोत्सव का आयोजन किया गया। ठाकुरजी का अभिषेक कर उन्हें चांदी के रथ में विराजित किया गया। इसके बाद रथयात्रा निकाली गई। इस बीच हरिकीर्तन और भजन का सिलसिला चलता रहा।

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रथ यात्रा महोत्सव के अवसर पर आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज दरीबा पान में ठाकुर श्री राधा सरस बिहारी की श्रृंगार सेवा के बाद निजी मंदिर में ठाकुर जी के रथ यात्रा में विराजमान कर झांकी का दर्शन कराया गया। इससे पूर्व प्रातः काल नित्य की सेवा के अंतर्गत ठाकुर जी के केसर चंदन वह नवीन पोशाक धारण कराई गई। श्री शुक पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण जी महाराज के द्वारा ठाकुर जी को विविध लाड सेवा करते हुए मधुर व्यंजन भोग अर्पण किया गया। रथ झांकी की पदावली के अनुसार ठाकुर जी की सेवा की गई।

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