सावन मास में चमत्कारी महामृत्‍युंजय मंत्र पढ़ने से दूर होता हैं सारा कष्ट

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सावन सोमवार का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। भगवान शिव की कृपा से व्यक्ति अपने इच्छित कार्यों को सफल बना सकता है। भगवान शिव रक्षक भी हैं और संहारक भी। उनकी मर्जी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। सावन मास में उनके सबसे प्रभावी महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। असाध्य रोग से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। जीवन पर आई घोर विपदा भी टल जाती है। ऐसा है भगवान शिव का चमत्कारी महामृत्‍युंजय मंत्र। आइए जानते हैं इसके बारे में।

Mahamrityunjaya Mantra

कब करते हैं महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप-

भगवान शिव के चमत्कारी महामृत्युंजय मंत्र का जाप कुछ विशेष स्थितियों में करते हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन पर संकट हो, अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, धन हानि आदि का डर हो, तब महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।

महामृत्‍युंजय मंत्र

  • महामृत्‍युंजय मंत्र दो प्रकार का होता है। महामृत्युंजय मंत्र या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र। इन दोनों ही मंत्रों का जाप किया जाता है।
  • महामृत्युंजय मंत्र: ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।
  • लघु मृत्युंजय मंत्र: ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।
  • कितनी बार करें मंत्र का जाप
  • भगवान शिव को रुद्राक्ष प्रिय है। रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार करने का विधान है।

सावन सोमवार का दिन अत्यंत उत्तम माना जाता है। आप चाहें तो इस दिन लघु मृत्युंजय मंत्र या महामृत्‍युंजय मंत्र के जाप का प्रारंभ कर सकते हैं।

मंत्र जाप में मन और आचरण की शुद्धता के साथ मंत्र का शुद्ध उच्चारण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मन को शांत करके इस मंत्र का जाप करना चाहए। मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद हवन करने का विधान है।

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