कांग्रेस के भीतर फिर से बगावत की आहट, क्या करने वाले है अब दिग्गज नेता

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कांग्रेस पार्टी के भीतर कुछ भी बेहतर नहीं दिख रहा है, आपको बता दें कि ऐसे में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बीते दिनों पार्टी में बड़ा संगठनात्मक बदलाव किया है। पार्टी में इसे लेकर लंबे समय से मांग उठ रही थी। कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को पत्र लिखकर बदलावों और संगठन को स्थायी नेतृत्व पर फैसला लेने की मांग की थी।

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गौरतलब है कि शनिवार को पार्टी में कुछ अहम बदलाव तो हुए लेकिन इससे पत्र लिखने वाले कांग्रेसी संतुष्ट नहीं है।जानकारी के मुताबिक, पार्टी में बदलाव की मांग रखने वाले ज्यादातर नेता कांग्रेस के इस फेरबदल से नाराज हैं। नाम न लिखे जाने की शर्त पर एक अखबार को एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि पार्टी में यह फेरबदल कांग्रेस नेतृत्व को लिखे गए उनके पत्र में रखी गई चिंताओं को किसी भी तरीके से संबोधित नहीं करते।

आत्मनिरीक्षण करने की सलाह

वहीँ उन्होंने कहा कि यह फेरबदल काफी निराशाजनक है और हम इससे काफी नाखुश हैं। इसमें कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पार्टी के पुनरुद्धार के लिए कोई कोशिश दिखाई नहीं देती है। गौरतलब है कि 135 साल पुरानी पार्टी के प्रदर्शन में लंबे समय से लगातार जारी गिरावट पर चिंता जताते हुए कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, शशि थरूर और मनीष तिवारी समेत कई नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व को स्वहस्ताक्षरित पत्र लिखा था।

बता दें कि उन्होंने पार्टी को इस पर आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी। इसके बाद शनिवार को कांग्रेस की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। पत्र लिखने वाले 23 में से 18 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इस मीटिंग में हिस्सा लिया। पत्र लिखने वालों में शामिल रहे एक वरिष्ठ नेता ने पार्टी में फेरबदल को ‘निरर्थक प्रयास’ बताया।

उन्होंने कहा कि इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार की मीटिंग में कई नए लोग शामिल थे। बताया जा रहा है कि फेरबदल से असंतुष्ट पत्र लिखने वाले नेताओं ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) में सदस्यों के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया की मांग की है। गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी कांग्रेस पार्टी में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।

सोनिया से फिर बात करेंगे कांग्रेसी

आजाद के अलावा चिट्ठी लिखने वाले तीन अन्य कांग्रेस नेताओं मुकुल वासनिक, आनंद शर्मा और जितिन प्रसाद को कार्यसमिति में बरकरार रखा गया है। माना जा रहा है कि पार्टी ने सुलह के मकसद को ध्यान में रखते हुए इन कथित नाराज कार्यकर्ताओं को लेकर यह फैसला लिया है। हालांकि, फेरबदल से असंतुष्ट नेता अभी हार मानने के मूड में नहीं है। फिलहाल, वह संसद के मॉनसून सत्र पर फोकस कर रहे हैं। नेताओं का कहना है कि मॉनसून सत्र की समाप्ति और रूटीन हेल्थ चेकअप के लिए यूएस गईं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के वापस आने के बाद वे फिर से इस मुद्दे को उनके समक्ष रखेंगे।

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