कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में लाखों घर तबाह किए हैं। आपदा के लगभग 2 वर्ष बीत जाने के पश्चात, उसके दूरगामी प्रभाव समझ आने लगे हैं। एक रिसर्च के मुताबिक, कोरोना महामारी के चलते भारतीयों की जीवन प्रत्याशा दो साल तक घट गई है।
जनसंख्या अध्ययन के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (IIPS) के मुताबिक, 2019 में भारतीय पुरुषों की जीवन प्रत्याशा 69.5 साल थी जो 2020 में घटकर 67.5 साल रह गई। इसी प्रकार भारतीय औरतों की जिंदगी प्रत्याशा 2019 में 72 साल हुआ करती थी जो अब 69.8 वर्ष पर आ गई है। IIPS के असिस्टेंट प्रफेसर सूर्यकांत यादव की ये शोध ‘बीएमसी पब्लिक हेल्थ’ जर्नल में छपी है।
‘जन्म के समय जीवन प्रत्याशा’ का अर्थ उस औसम समयकाल से होता है जितने समय तक नवजाते के जीने का अनुमान होता है, यदि बाकी पैटर्न्स भविष्य में वैसे ही रहें तो। नई रिसर्च में कई एजग्रुप्स के जीवनकाल में आए चेंजेस पर भी नजर डाली गई। पता चला कि 35 वर्ष से 69 वर्ष के एजग्रुप में मर्दों के मरने की दर सबसे अधिक थी।
विशेषज्ञों के मुताबिक, 2020 में कोरोना की वजह से इस एजग्रुप में अधिक मृत्यु हुईं और उसकी वजह से जीवन प्रत्याशा में गिरावट पर खासा असर पड़ा।
जनसंख्या अध्ययन के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान (IIPS) की ये रिसर्च देश में कोरोना से मृत्यु दर के पैटर्न में क्या बदलाव आया है, यह जानने के लिए की गई थी। दुनियाभर में कोविड के चलते बीते वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक मृत्यु हुई हैं। मोदी सरकार के मुताबिक मार्च 2020 से अबतक साढ़े चार लाख मौतें हो चुकी हैं। हालांकि डेटा स्पेशलिस्ट्स ने कई बार दावा किया है कि इंडिया में आपदा के चलते इससे कहीं अधिक लोग मारे गए हैं।