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इंडिया गठबंधन दलों की दो दिवसीय बैठक गुरुवार, 31 अगस्त से मुंबई में शुरू हो गई है। इस बैठक में विपक्ष के 28 दल शामिल हो रहे हैं। ‌ बैठक का आज दूसरा दिन है।  विपक्षी गठबंधन आज दोपहर तक 'लोगो और कन्वीनर' (संयोजक) का नाम जारी कर सकता है। इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए 'एक देश एक चुनाव' (One Nation One Election) पर कमेटी बना दी है। इस कमेटी का पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अध्यक्ष बनाया गया है। 

मोदी सरकार आज इसका नोटिफिकेशन भी जारी कर सकती है। केंद्र सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले के बाद विपक्ष कांग्रेस ने आपत्ति जताई है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आखिर एक देश एक चुनाव की सरकार को अचानक जरूरत क्यों पड़ गई। मोदी सरकार की ओर से संसद का विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है? इसको लेकर अलग-अलग चर्चा शुरू है। जी20 मीटिंग के बाद 5 दिन वाले इस विशेष सत्र में सरकार कुछ महत्वपूर्ण बिल पेश कर सकती है। ऐसी चर्चा भी शुरू हो गई है कि एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) जैसा महत्वपूर्ण बिल सरकार इस विशेष सत्र में ला सकती है। 

प्रधानमंत्री मोदी लंबे समय से इसकी वकालत करते रहे हैं। बता दें कि एक देश-एक चुनाव पर पहली बार विवाद 2018 में शुरू हुआ था। उस समय लॉ कमीशन ने एक देश-एक चुनाव का समर्थन कर रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी। लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने के मुद्दे पर मसौदा रिपोर्ट केंद्रीय विधि आयोग को दी गई थी। इस रिपर्ट में संविधान और चुनाव कानूनों में बदलाव की सिफारिश की गई थी। 

बता दें कि केंद्र सरकार ने संसद का विशेष सत्र 18 से 22 सितंबर को बुलाया गया है। गुरुवार को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की ओर इस फैसले की जानकारी दी गई। अचानक संसद के विशेष सत्र बुलाए जाने पर विपक्ष की ओर से भी इस फैसले पर सवाल खड़े किए गए। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ऐसी कौन सी इमरजेंसी है, शीतकालीन सत्र तो होना है। 

वहीं देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव की वकालत करते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी लॉ कमीशन को पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने कहा था कि एक साथ चुनाव कराए जाने से चुनाव में बेतहाशा खर्च पर लगाम लगेगी और देश के संघीय ढांचे को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। 

बता दें कि एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ ही करा लिए जाएं। देश के आजाद होने के कुछ समय बाद तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही कराए जाते थे लेकिन इस प्रथा को बाद में खत्म करके विधानसभा और लोकसभा चुनाव को अलग-अलग से कराया जाने लगा।


संसद के विशेष सत्र में मोदी सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक कर सकती है पारित--

 

वहीं एक और चर्चा जोरों पर है कि जिसका जिक्र विपक्ष की ओर से भी किया जा रहा है। विपक्ष की ओर से दावे किए जा रहे हैं कि मोदी सरकार इस बार समय से पहले चुनाव करा सकती है। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की ओर से दावा किया गया कि दिसंबर में ही सरकार लोकसभा चुनाव करा सकती है। नीतीश कुमार की ओर से भी ऐसा दावा किया जा चुका है। 

कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है और उसके आस-पास चुनाव हो सकते हैं ऐसी चर्चा है। हालांकि सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता ऐसी बात को नकारते रहे हैं। चुनाव के लिए विशेष सत्र की कोई जरूरत नहीं लेकिन 5 दिन के सत्र में सरकार कौन से महत्वपूर्ण बिल पास कराएगी इस पर नजर रहेगी। 

माना जा रहा है कि संसद के इस विशेष सत्र में केंद्र सरकार कई महत्वपूर्ण बिल पारित कर सकती है। जिसमें महिलाओं के लिए संसद में एक-तिहाई अतिरिक्त सीट देना। नए संसद भवन में शिफ्टिंग। यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल पेश हो सकता है। लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने का बिल आ सकता है। 

आरक्षण पर प्रावधान संभव। (ओबीसी की केंद्रीय सूची के उप-वर्गीकरण, आरक्षण के असमान वितरण के अध्ययन के लिए 2017 में बने रोहिणी आयोग ने 1 अगस्त को राष्ट्रपति को रिपोर्ट दी है।) सरकार कुछ ऐसे फैसले कर सकती है जिसका चुनावी राज्यों पर असर पड़ सकता है। 

संसद का यह विशेष सत्र जो पांच दिनों तक चलने वाला है वह नई बिल्डिंग में हो। इसकी जानकारी भी सामने आ रही है हालांकि आधिकारिक तौर इसकी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस फैसले की जानकारी देते हुए जो तस्वीर पोस्ट की है उसमें संसद की नई और पुरानी दोनों ही बिल्डिंग दिख रही है।

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