योगी सरकार पर नफरत फैलाने को लेकर विपक्ष के साथ रिटायर्ड अफसरों ने भी मिलाए सुर

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लखनऊ। प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल है। यूपी में फिर विपक्षी नेताओं के चेहरों पर मुस्कान आ गई है। इसकी वजह है कि इस बार कई रिटायर्ड और कद्दावर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

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‘अभी तक कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बसपा और आम आदमी पार्टी उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर नफरत फैलाने की राजनीति करने के आरोप लगाती रही है। अब इन पूर्व नौकरशाहों ने विपक्ष के सुर में सुर मिला दिए हैं, सौ से अधिक पूर्व अफसरों ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया’।

हम आपको बता दें कि इन अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को प्रदेश में नफरत की राजनीति करने के लिए एक लंबा चौड़ा पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंनेे यूपी को नफरत की राजनीति का केंद्र बताया। पत्र में कहा गया है कि धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश ने राज्य को घृणा, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है। पूर्व नौकरशाहों ने इसे तत्काल वापस लेने की मांग भी की है।

इस कानून का विरोध करते हुए जिन 104 पूर्व आईएएस अधिकारियों ने सीएम योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है, उनमें पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव और प्रधानमंत्री के पूर्व सलाहकार टीकेए नायर भी शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि जिस यूपी की पहचान कभी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए थी, वह इस कानून के अस्तित्‍व में आने के बाद अब ‘घृणा की राजनीति, विभाजन और धार्मिक कट्टरता का केंद्र’ बन गया है। इससे पहले भी हाथरस में हुई युवती के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद कई अफसरों ने योगी को पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी।

इन पूर्व नौकरशाहों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का हवाला देकर योगी पर बोला हमला—-

पूर्व अफसरों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि अगर लड़का और लड़की नाबालिग है और खुद की मर्जी से शादी कर रहे हैं, तो इसमें कहीं से भी कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने पिछले महीने एक ऑर्डर दिया था, जिसमें किसी के व्यक्तिगत रिश्तों में दखल देना स्वतंत्रता के अधिकार का हनन है। पत्र में पूर्व अफसरों ने लिखा है कि कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश है और उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है। लव जिहाद का नाम राइट विंग विचारधारा रखने वालों ने दिया है।

इसमें कथित तौर पर मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को बहलाकर शादी करते हैं और फिर उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं, ये केवल मनगढ़ंत कहानी है। यहां हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण रोधी अध्यादेश को लागू किए लगभग एक महीना हो चुका है, एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कानून के तहत अब तक लगभग 35 लोगों को गिरफ्तार किया गया । उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार जहां इस कानून का दमदार तरीके से बचाव कर रही है और इसे आवश्‍यक मानती है, वहीं इसका व्‍यापक पैमाने पर विरोध भी हो रहा है। दूसरी ओर विपक्ष के नेता और अब रिटायर्ड अफसरों ने योगी सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है।

उत्तर प्रदेश सरकार से अवैध अध्यादेश को तत्काल वापस लेने की मांग की—-

रिटायर्ड नौकरशाहों ने सीएम योगी को लिखे पत्र में अवैध अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है। इस पत्र में यह भी कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी राजनेताओं को संविधान के बारे में अपने आप को फिर से शिक्षित करने की जरूरत है। पत्र में कहा गया है कि यूपी में शासन की संस्थाएं अब सांप्रदायिक जहर में डूबी हुई हैं।

इन पूर्व अफसरों ने मुख्यमंत्री योगी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। योगी को लिखे पत्र में इस महीने के शुरू में यूपी के मुरादाबाद में हुए मामले का जिक्र किया गया, जिसमें अल्पसंख्यकों को कथित रूप से बजरंग दल द्वारा कथित रूप से दोषी ठहराया गया था। यही नहीं अभी कुछ दिनों पहले प्रदेश के बिजनौर जनपद में दो किशोरों को पीटा और परेशान किया फिर पुलिसस स्टेशन में ले जाया गया जहां लव जिहाद का मामला दर्ज किया गया।

एक किशोर को 16 साल की हिंदू लड़की को जबरन शादी करने की कोशिश करने के आरोप में एक हफ्ते से अधिक समय से जेल में रखा गया था। हालांकि लड़की और उसकी मां दोनों द्वारा आरोप को गलत बताया जा रहा था। रिटायर्ड अफसरों ने पत्र में कहा है कि उत्तर प्रदेश में ये अत्याचार, कानून के शासन के लिए समर्पित भारतीयों के आक्रोश की परवाह किए बिना जारी हैं, यही नहीं धर्मांतरण विरोधी अध्यादेश का उपयोग एक छड़ी के रूप में किया जा रहा है।

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