राजनीतिक दलों और उसके नेताओं में जमकर अंधविश्वास भरा पड़ा रहता है. वहीं नेताओं के अंधविश्वास की बहुत सी कहानियां सुनी होंगी. आपको बता दें कि ठीक उसी तरह की एक नई कहानी है जो अजित पवार से जुड़ी है. खबर है कि महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार मुंबई में मंत्रालय भवन की 6वीं मंजिल पर मुख्यमंत्री कार्यालय के ठीक सामने वाले कमरे में अपना दफ्तर बनाने के इच्छुक नहीं हैं.
आपको बता दें कि यह सुनने में अतार्किक लग सकता है लेकिन सूत्रों का कहना है कि अजित पवार कमरा नंबर 602 को अपना दफ्तर नहीं बनाना चाहते. कथित तौर पर उन्होंने 6वीं मंजिल पर ही एक दूसरे विशेष कमरे में अपना दफ्तर बनाने का फैसला किया है.
कमरा नंबर 602 सीएम के दफ्तर के ठीक सामने है. यह करीब 3000 स्क्वायर फीट में फैला है और केबिन काफी बड़ा है. इसमें एक बड़ा कॉन्फ्रेंस रूम है और साथ में ऑफिस केबिन के लिए भी पर्याप्त जगह है. इसके अलावा मंत्रालय भवन की 6वीं मंजिल पर मुख्यमंत्री कार्यालय है, इसलिए इसे पॉवर सेंटर भी माना जाता है.
कमरा नंबर 602 की कहानी
कमरा नंबर 602 मनहूस क्यों है इसकी भी अपनी कहानी है. 2014 में बीजेपी नेता एकनाथ खड़से ने कृषि मंत्रालय, रेवेन्यू और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का प्रभार संभाला तो वे इसी कमरे में शिफ्ट हुए थे. पार्टी और कैबिनेट में उनकी वरिष्ठता के आधार पर उन्हें यह विशेष केबिन दिया गया था. लेकिन दो साल बाद ही भाजपा के इस वरिष्ठ नेता को जमीन घोटाले में कथित संलिप्तता के कारण इस्तीफा देना पड़ा.
यही कमरा बीजेपी नेता पांडुरंग फुंदकर को मिला था, जब वे कृषि मंत्री बने थे. मई 2018 में हार्ट अटैक के चलते उनका देहांत हो गया. इस साल कैबिनेट के विस्तार के समय अनिल बोंडे को कृषि मंत्रालय का चार्ज मिला तो उन्हें भी यही कमरा अलॉट हुआ. लेकिन इस चुनाव में वे अपनी विधायकी गंवा बैठे.
जब कमरा नंबर 602 छोड़ने और दूसरा छोटा कमरा लेने पर सवाल पूछा गया तो उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि नया कमरा मुख्यमंत्री कार्यालय के पास है, वहां रहना बेहतर है ताकि सुचारू रूप से संवाद होता रहे.