प्रिंसिपल ने लगवा दी 60 युवतियों की लाईन, फिर एक-एक कर उतारे सबकी ड्रेस और॰॰॰

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नई दिल्ली॥ एक ओर जहां सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक माहवारी को लेकर जागरूकता देने की मुहिम चल रही है, वहीं भुज में एक गर्ल्स हॉस्टल की 68 लड़कियों को माहवारी होने का ‘सबूत’ देने के लिए महिला टीचरों के सामने कपड़े उतारने पड़े। घटना सामने आने के बाद कच्छ यूनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में एक पांच सदस्यीय जांच कमिटी बनाकर है, रिपोर्ट आने पर आगे की कार्रवाई करने की बात कर रही है।

गुरुवार को कमिटी की अध्यक्ष प्रभारी वाइस चांसलर दर्शना ढोलकिया ने दो अन्य महिला प्रोफेसरों के साथ कॉलेज का दौरा किया। ढोलकिया ने कहा, हम लड़कियों से और कॉलेज प्रशासन से एक-एक कर बात कर उसके बाद कार्रवाई करने वाले है। यह शर्मनाक घटना सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट की है। घटना सामने आने के बाद इसकी चौतरफा आलोचना हो रही है।

एक लड़की ने कहा,यह पूरी तरह मानसिक टॉर्चर है और हमारे पास इस बताने के लिए शब्द नहीं हैं। कुल 68 लड़कियों को प्रिंसिपल के सामने इस टेस्ट से गुजरना पड़ा। दरअसल पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब सोमवार को हॉस्टल के गार्डन में एक इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड पड़ा मिला। कॉलेज वॉर्डन को शक हुआ कि यह हॉस्टल की किसी लड़की ने इस पैड को वॉशरूम की खिड़की से फेंका होगा। कॉलेज प्रशासन ने माहवारी को लेकर बनाए गए नियम-कायदों के उल्लंघन के ‘असली दोषी’ को ढूंढने के लिए तलाश शुरू कर दी।

प्रिंसिपल रीता रानीगा ने सभी युवतियों को कॉमन जगह बुलाकर हॉस्टल के नियमों और स्वामीनारायण संप्रदाय के नियमों के बारे में जमकर भाषण दिया। उन्होंने लड़कियों से कहा कि वह खुद ही बता दें कि किसने सैनिटरी पैड फेंका था। दो लड़कियां सामने भी आ गईं। हालांकि रीता और अन्य महिला प्रोफेसर संतुष्ट नहीं हुईं, तब उन्होंने एक-एक कर लड़कियों को बाथरूम में बुलाकर अपने सामने उनके कपड़े उतरवाए।

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एक लड़की के पिता ने कहा,हम भी स्वामीनारायण संप्रदाय के अनुयाई हैं। सभी नियम मानते हैं, मगर मेरी बेटी को इस तरह टॉर्चर करना बिल्कुल सही नहीं है। घटना के नाराज लड़कियों के मां-बाप अब कॉलेज प्रशासन और प्रिंसिपल रीता के खिलाफ एफआईआर दर्द करने की सोच रहे हैं। बता दें कि माहवारी को लेकर हॉस्टल ने कड़े नियम बना रखे हैं।

नियम के अनुसार, जिस लड़की को माहवरी होगी, वह हॉस्टल में नहीं रहेगी। उसके लिए हॉस्टल के बेसमेंट में रहने की जगह बनी है। साथ ही वह लोगों से घुलेगी-मिलेगी नहीं। न ही किचन और पूजा स्थल में प्रवेश करेगी। इतना ही नहीं, इस दौरान उनके बर्तन भी अलग और पीरियड्स खत्म होने के बाद उन्हें धोकर रखना होगा। इसके अलावा पीरियड्स के दौरान लड़कियों को क्लास में सबसे पीछे बैठने का निर्देश है।

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