हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। पौराणिक शास्त्रों में बताया गया है कि पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उनका तर्पण किया जाता है। उनके प्रति श्रद्धा और आदर व्यक्त किया जाता है। पितृ पक्ष में अमावस्या की तिथि को भी विशेष दर्जा दिया गया है। पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या की तिथि 5 अक्टूबर दिन मंगलवार को शाम 07 बजकर 04 मिनट से शुरू होगी और 6 अक्टूबर को दोपहर 04 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी।
सर्व पितृ अमावस्या पर श्राद्ध का महत्व
शास्त्रों के अनुसार सर्व पितृ अमावस्या पर सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस दिन पितरों के नाम की धूप जलाने से मानसिक और शारीरिक शांति मिलती है। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। घर में सुख-समृद्धि आती है। इस अमावस्या पर की जाने वाली पूजा सभी कष्टों को को दूर कर देती है। अश्विन मास की अमावस्या को बेहद फलदायी माना जाता है। इस दिन पितरों का श्राद्ध करने से जीवन में आने वाली परेशनियां दूर होती हैं. इसके साथ ही पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है।
पितृ विसर्जन
धार्मिक मान्यता है कि आश्विन मास की अमावस्या तिथि को श्राद्ध करके पितरों को विधि पूर्वक विदाई दी जाती है। यही वजह है कि इस दिन को सर्व पितृ विसर्जन अमावस्या श्राद्ध भी कहा जाता है। इसके साथ ही इसे सर्व पितृ विसर्जनी अमावस्या भी कहते हैं।
इस दिन भूलकर भी न करें ये काम
सर्व पितृ अमावस्या में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दिन किसी की बुराई करने से बचना चाहिए। इस दिन पितरों के योगदान को याद करना चाहिए और उनका आभार व्यक्त करना चाहिए।