आत्मनिर्भरता की मिसाल बनीं ये महिला, पीएम मोदी के सपने को कर रहीं साकार

img

उत्तर प्रदेश॥ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए जो प्रयास शुरू किए गए हैं उनमें तमाम सरकारी व गैर सरकारी प्रयास भी शामिल हैं। लेकिन इससे पूर्व भी कुछ लोग अपने अपने अलग-अलग क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मिसाल बने हुए हैं।

etawah aatmnirbharta ki misal

स्थानीय ग्राम निलोई निवासी 62 वर्षीय सत्यवती शाक्य क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की एक मिसाल बन गई हैं। उन्होंने आत्मनिर्भरता की ओर 30 साल पहले कदम बढ़ाने शुरू किए थे जब वे उद्यान विभाग द्वारा आयोजित विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेने लगीं थीं और गांव में उन्होंने विचार मंडल का गठन भी किया था।

महिलाओं के बीच में बैठकर उन्हें उनके पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन, बच्चों के पालन पोषण में सहायक विचारों से अवगत कराना और आत्मनिर्भर उन्नत कृषि के तरीके, घरों में छोटे-मोटे आइटम चिप्स, पापड़ दाल, दलिया, मोमबत्तियां इत्यादि तैयार करने हेतु प्रेरित करना आदि इनकी नियमित दिनचर्या का हिस्सा हो गया।

इस तरह से बढ़ता गया महिलाओं का हौसला

वर्ष 1996 के आसपास सत्यवती शाक्य ने उत्तर प्रदेश कृषि विविधीकरण परियोजना के अंतर्गत एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया जिसके अंतर्गत उन्होंने फूलों की खेती, केंचुआ खाद बनाना जैसे काम शुरू किए थे। छोटी-छोटी मासिक बच्चों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह के पास पूंजी बढ़ती गई और सत्यवती सहित अन्य महिलाओं का भी हौसला बढ़ता गया।

बाद में इस प्रगतिशील महिला सत्यवती को विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों और स्थलीय भ्रमण करने का मौका मिला तथा गोवा, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली जैसे कई प्रदेशों में कुछ ना कुछ सीखने को मिला। प्रगतिशील महिला किसान सत्यवती अपने आपको गौरवान्वित गौरवान्वित महसूस करती हैं क्योंकि उन्हें कई बार कृषि विभाग की ओर से सम्मानित भी किया गया तथा प्रगतिशील किसान का पुरस्कार भी उन्हें मिल चुका है।

शुरू किया था ये बिजनेस

केंचुए से जैविक खाद बनाने का काम तो उन्होंने बड़े पैमाने पर स्टार्ट किया था और आसपास के गांव में भी उनको देख अन्य किसानों ने भी केंचुआ से जैविक खाद का निर्माण शुरू किया। विभिन्न प्रकार की खेती कराने के लिए वह अक्सर खुद विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों पर जाती रही हैं और कभी-कभी तो दर्जनों महिलाएं उनके साथ प्रशिक्षण में शामिल हुईं हैं।

उनके यहां गांव निलोई में ही कृषि तकनीकी प्रसार कार्यक्रम के अंतर्गत कृषि विभाग की आत्मा एजेंसी ने फार्म स्कूल की स्थापना भी कराई थी जिसके माध्यम से कुछ सालों तक किसानों को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण भी दिए गए थे। वैसे तो सत्यवती के पास काफी कम खेती है उनके इस तरह बढ़ते हुए कदमों को उनके शिक्षक पति ने हमेशा सहयोग कर प्रोत्साहित किया है।

वित्तीय वर्ष 2018-19 की अपेक्षा 2019-20 में उनकी शुद्ध वार्षिक आय ढाई गुना तक पहुंची। इस आशय का प्रमाण पत्र भी चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर द्वारा उन्हें प्रदान किया गया है। सत्यवती बताती हैं कि अब उनकी उम्र अधिक हो जाने के कारण बाहर आने जाने में असमर्थ रहतीं हैं।

इस 15 अगस्त को चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा उन्हें सम्मानित किया जाना था लेकिन कोरोना काल के कारण यह कार्यक्रम स्थगित हुआ और उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र पर बुलाकर कुलपति की ओर से प्रेषित प्रमाण पत्र सौंपा गया। और कृषि विज्ञान केंद्र ने भी विभिन्न प्रकार की फसलों अचार, पापड़, मोमबत्ती, केंचुआ खाद बनाने जैसे गृह उद्योग संचालित करने के लिए सम्मानित किया।

सत्यवती ने अपनी बढ़ती उम्र को देखते हुए स्थानीय व पारिवारिक महिलाओं के कुछ और समूह बनवाएं और अब उनकी बहूएं भी उनके सहयोग से समूहों का सफल संचालन कर रहीं हैं। हमारे संवाददाता जब उनके यहां पहुंचे तो वह केचुआं खाद वाले गड्ढों की सफाई करवा रहीं थीं। जनपद की ओर से महिला किसानों की ओर से प्रतिनिधित्व करने वाली सत्यवती आज प्रधानमंत्री को भी धन्यवाद देती हैं कि वह स्वयं इस दिशा में लोगों को आत्मनिर्भरता की और प्रोत्साहित कर रहे हैं।

 

Related News