पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण से पर्यावरण को बचाएं, कृषि विभाग कर रहा प्रोत्साहन

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धमतरी, 3 अक्टूबर यूपी किरण। पराली जलाने से उत्पन्न प्रदूषण से पर्यावरण को होने वाली नुकसान से बचाने कृषि विभाग इस साल जिले के किसानों को पहले से सचेत किया है। धान फसल की कटाई मिंजाई के बाद पराली न जलाएं। खेतों से एकत्र कर गोठानों में दान करें। पराली जलाते पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जिले के धमतरी, कुरूद, नगरी और मगरलोड ब्लाक में इस साल 1, 37000 हेक्टेयर क्षेत्र पर किसानों ने धान फसल लगाई है। इनमें से अधिकांश किसानों के फसल पककर तैयार है, जल्द ही कटाई-मिंजाई का काम अंचल में शुरू होने वाली है। इसके बाद रबी फसल लेने वाले किसान अपने खेतों पर पराली को जलाएंगे, जो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदायक है।
कृषि उपसंचालक जीएस कौशल ने बताया कि इस साल जिले के किसान धान की कटाई-मिंजाई के बाद पराली को न जलाए, इसके लिए पहले से तैयारी की गई है। किसानों को जागरूक किया गया है कि वह अपने खेतों से उत्पन्न पराली को एकत्र कर अपने क्षेत्र या गांव के गोठानों में दान करें ताकि मवेशियों के लिए यह खाने के काम आ सके। उपसंचालक जीएस कौशल ने बताया कि पराली जलाने से किसानों को भारी नुकसान होता है। साथ ही पर्यावरण भी प्रदूषित होता है।
पराली जलाने से किसानों की जमीन की क्वालिटी प्रभावित होती है। मिट्टी में रहने वाले किसान मित्र कीट जलकर नष्ट हो जाते हैं। वहीं जमीन के अंदर का जलधारा क्षमता भी कम हो जाता है। ऐसे में किसान अपने खेतों में पराली को न जलाएं क्योंकि पराली मवेशियों के लिए बहुत ही उपयोगी है। बारिश के दिनों में पराली के अभाव में गोठानों में मवेशियों को भूखे रहना पड़ता है, इसके लिए किसान मानवता दिखाते हुए पराली को एकत्र करें।

किसानों के लिए 1000 रुपए का प्रोत्साहन
कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी श्री पनिका ने बताया कि खेतों में पराली को जलाने के बजाय उसे कृषि अधिकारियों के सलाह पर खेत में ही सड़ाकर खाद उत्पन्न करें । ताकि पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे। इस खाद से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और उत्पादन अधिक होता है। पर्यावरण को नुकसान न हो इसलिए केंद्र सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने इस विधि को अपनाने वाले किसानों के लिए 1000 रुपये प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है।

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