SBI ने गर्भवती महिलाओं को बताया ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’, महिला आयोग ने जारी किया नोटिस

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दिल्ली महिला आयोग ने शनिवार को भारतीय स्टेट बैंक को एक नोटिस जारी कर उस दिशानिर्देश को वापस लेने की मांग की, जो तीन महीने से अधिक की गर्भवती महिलाओं को सेवा में शामिल होने से रोकता है, उन्हें ‘अस्थायी रूप से अयोग्य’ बताते हुए।

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डीसीडब्ल्यू (DCW) प्रमुख स्वाति मालीवाल ने कहा कि यह ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘अवैध’ दोनों है। नोटिस में कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा ‘नई भर्तियों और पदोन्नतियों’ के लिए ‘नए दिशानिर्देश’ तैयार करने की मीडिया रिपोर्टों पर आयोग ने स्वत: संज्ञान लिया है।

मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए, नोटिस में कहा गया है कि 31 दिसंबर को बैंक द्वारा जारी एक हालिया परिपत्र “उन महिलाओं को सेवा में शामिल होने से रोकता है जो तीन महीने से अधिक गर्भवती हैं, बावजूद इसके कि उन्हें उचित प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया है।”

आयोग ने कहा कि सर्कुलर में कहा गया है कि उसे “अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे के जन्म के बाद चार महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है।”

आयोग ने इसे ‘गंभीर मामला’ करार देते हुए कहा कि बैंक की यह कार्रवाई ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘अवैध’ प्रतीत होती है क्योंकि यह ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020’ के तहत प्रदत्त मातृत्व लाभ के विपरीत है।

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