नई दिल्ली। भारतीय रेलवे से रोजाना लाखों की संख्या में यात्री सफर करते हैं। रेलवे ने यात्रियों की बेहतर सुविधा के लिए कई नियम बना रखे हैं। इस नियमों का लाभ कोई भी यात्री ले सकता है। वहीं अगर किसी यात्री को सफर के दौरान किसी तरह की दिक्क्त आती है तो वह इंसाफ के लिए उपभोक्ता कोर्ट का दरवाजा भी खटखटा सकता है
हाल ही में उपभोक्ता कोर्ट में रेलवे के खिलाफ डाली गई अर्जी पर बड़ा फैसला लिया है।
दरअसल, ट्रेन में सफर के दौरान रिजर्वेशन के बाद भी एक बुजुर्ग को सीट नहीं दी गई। इस बात ने असंतुष्ट बुजुर्ग ने रेलवे के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में अर्जी डाल दी थी। इसी अर्जी पर सुनवाई करते हुए उपभोक्ता आयोग ने रेलवे के ऊपर बड़ा जुर्माना लगाया है। उपभोक्ता फोरम ने रेलवे पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। खास बात ये है कि ये मामला 14 साल पुराना है जिस पर आयोग ने अब फैसला दिया है।
बताया जाता है कि साल 19 फरवरी 2008 को इंद्र नाथ झा दरभंगा से दिल्ली की यात्रा कर रहे थे। वे एक बुजुर्ग यात्री थे और उनके पास ट्रेन में बैठने की कंफर्म टिकट थी। इसके बाद भी यात्रा के दौरान उन्हें सीट नहीं उपलब्ध कराई गयी। इस वजह से उन्हें दरभंगा से दिल्ली तक की यात्रा खड़े होकर करनी पड़ी। इस मामले में इंद्र नाथ झा की टीटीई ने उन्हें बताया था कि उनकी टिकट को अपग्रेड कर दिया गया है लेकिन, बाद में उनकी सीट किसी और को आवंटित कर दी गई थी।
इस घटना से नाराज इंद्र नाथ झा ने दिल्ली के उपभोक्ता कोर्ट में मुकदमा दायर कर दिया। मामले की सुनवाई करने के बाद अब रेलवे को आदेश दिया है कि रेलवे की लापरवाही के के चलते यात्री को परेशानी हुई थी। ऐसे में रेलवे को यात्री को लापरवाही के 50 हजार रुपये का जुर्माना, 25 हजार रुपये यात्री के उत्पीड़न के लिए देना होगा। इसके साथ ही मुकदमा दर्ज करने के दिन से फैसले के दिन तक कुल राशि पर 6 प्रतिशत ब्याज का भुगतान भी करना पड़ेगा। ऐसे में रेलवे को लगभग एक लाख रुपये का जुर्माना देना होगा