चाचा शिवपाल ने कविता बोलकर बयां किया दर्द, सुनकर अखिलेश यादव भी हो जाएंगे मजबूर

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उत्तर प्रदेश ।। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने आगामी लोकसभा चुनाव पर कहा कि हमारी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बन चुकी है। यूपी की राजनीति के सबसे अहम चेहरा माने जाने वाले शिवपाल यादव भले ही सपा से अलग हो चुके हैं लेकिन उनका दर्द अब भी कायम है।

उनके मन की पीड़ा कविता के रूप में जुबां से बाहर छलक ही आई। किसानों के मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आयोजित एक समारोह मे शिवपाल ने स्वरचित एक कविता पढी-

कैसे पढ़ा कैसे चला क्या क्या किया कैसे किया यह सबको पता है,
किसी से क्या कहूं मैं होकर बड़ा शहर में चला और ऐसे ढाला वैसे ढला,
दौर था काला घना है मैं तब भी न डरा,
धूप में बरसात में काली अंधेरी रात में संग-संग चला दुश्मन से लड़ा हूं,
आज भी संग उनके खड़ा अब और क्या करूं मैं,
वो मंजर याद है कुचला भी गया रौंदा भी गया क्या अपराध था,
यही अपराध था कि मैं उनके साथ खड़ा,
और क्या क्या सहू मैं क्या चुप रहूं।

उन्होंने कहा कि चुनाव चिन्ह आने वाला है। भाजपा को हराने के लिए अगर कोई हमशे गठबंधन करना चाहता है तो बात करे। उचित सीटे मिलने पर हम बात कर सकते हैं। शिवपाल यादव ने मीडिया से बातचीत में प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इस समय ब्यूरोक्रेसी पर नौकरशाही हावी है।

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जब नौकरशाही के हाथों सब पावर दे दी जाती है, तो वह सरकार गिर जाती है। भाजपा की हाल ही में तीन राज्यों में हार के सवाल पर उन्होंने कहा कि जनता के साथ धोखा नहीं करना चाहिए और जो करते हैं जनता उन्हें हटा देती है। उन्होंने हनुमान जी को लेकर छिड़े जाति विवाद पर कहा कि जो लोग उन्हें जाति और धर्म के नाम पर बांट रहे हैं वह बहुत छोटी मानसिकता के लोग हैं।

वहीं प्रदेश सरकार के विकास के दावों को खारिज करते हुए शिवपाल ने कहा कि इटावा में पूरा काम ठप है। भ्रष्टाचार पर रोक नहीं है। कोई अधिकारी सरकार के कंट्रोल में नहीं है। मनमानी चल रही है, भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। जिला को-ऑपरेटिव बैंक के अधिवेशन में किसी प्रशासनिक अधिकारी को नहीं देख शिवपाल यादव ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को आना चाहिए था।

मैंने कई बार इटावा और औरैया के जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक की शिकायत शासन से की है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। थानेदार खुलेआम रिश्वत ले रहे हैं। थाना में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस सरकार में किसानों और बुनकरों की बात नहीं सुनी जा रही है।

फोटो- फाइल

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