612 वर्ष की परंपरानुसार हुई श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान, एक रथ की परिक्रमा की अनुमति

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जगदलपुर। कोरोना संक्रमण से प्रभावित बस्तर गोंचा महापर्व 2020 में आज श्रीगोंचा रथ यात्रा के लिए तीन रथों के संचालन के स्थान पर सिर्फ एक रथ की परिक्रमा की अनुमति, रथ परिक्रमा स्थल के संपूर्ण लॉक डाउन के साथ सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन का पालन करते हुए, जिला प्रशासन के दिशा निर्देशों के अनुसार संपन्न किया गया।

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360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज बस्तर गोंचा महापर्व के संयोजक ईश्वर नाथ खंबारी ने कोरोना संक्रमण से प्रभावित बस्तर गोंचा महापर्व के लिए प्रशासन के साथ लगातार बैठकों के बाद सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन एवं प्रशासन के दिशा निर्देशों के अनुसार, तीन रथ के स्थान पर एक रथ की परिक्रमा का मार्ग प्रशस्त होने के साथ ही ,बस्तर गोंचा महापर्व के रियासत कालीन 612 वर्षों के परंपरा को अक्षुण बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन को साधूवाद दिया है।

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भगवान जगन्नाथ माता सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों को रथारूढ़ करने के पश्चात ,बस्तर महाराजा कमल चंद्र भंजदेव के द्वारा रियासत कालीन परंपरा अनुसार, श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों के मुखिया पदेन पाढ़ी और पाणिग्राही के द्वारा संपन्न किया गया। रथारूढ़ भगवान जगन्नाथ माता सुभद्रा एवंं बलभद्र स्वामी रथ परिक्रमा स्थल से होते हुए जनकपुरी सिरहासार भवन पहुंचे। जहां भगवान जगन्नाथ भक्तों श्रद्धालुओं के मध्य दर्शनार्थ आगामी 09 दिनों तक स्थापित होंगे। इसके साथ ही बस्तर गोंचा महापर्व के रियासत कालीन 612 वर्षों से चली आ रही अनवरत परंपरा का निर्वहन किया जाएगा।

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भगवान जगन्नाथ के श्रीमंदिर से रथारूढ़ होकर विश्व भ्रमण में निकलने के पूजा विधान को श्रीगोन्चा पूजा विधान कहते है। भगवान जगन्नाथ रथारूढ़ होकर विश्व भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुरी गुंडिचा मंदिर पहुंचते है। जनकपुरी-गुंडिचा मंदिर, सीरासार भवन जहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन 09 दिनों तक अनवरत होगें।

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