नई दिल्ली॥ बौखलाए चीन ने अब हिंदुस्तान से ये डिमांड मांग कर रहा है कि वह पैंगोंग त्सो के दक्षिणी इलाके में स्थित महत्वपूर्ण रणनीतिक चोटियों को खाली कर दे। आर्मी के आला अफसरों की मानें तो दुश्मन देश ने डिएस्कलेशन से पहले ये शर्त रख दी है।
बीते सोमवार को हुई छठें दौर की कोर कमांडर वार्ता के दौरान चीन की ओर बताया गया था कि वह तब तक LAC पर डिसइंगेजमेंट पर कोई चर्चा नहीं करेगा जब तक कि हिंदुस्तान चोटियों को नहीं खाली करता है। दोनों देशों के बीच इस वक्त LAC पर युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं।
इस वर्ष अप्रैल से ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) की तरफ से इंडियन आर्मी को भड़काने वाली कार्रवाई की जा रही है। पीएलए के जवान इस बात पर अड़े हैं कि जब तक इंडियन आर्मी पैंगोंग त्सो के दक्षिणी हिस्से से नहीं जाएगी, मसला नहीं सुलझेगा। हिंदु्सतानीय सेना इस समय रणनीतिक तौर पर चीन के विरूद्ध बहुत मजबूत स्थिति में आ गई है।
हिंदुस्तान की ओर से भी दुश्मन देश को कहा गया है कि वह पहले डिएस्कलेशन का एक रोडमैप उसे दिया जाए ताकि यह पता लग सके कि पूर्वी लद्दाख में कैसे पीछे हटने वाली है। एक अफसर की ओर से कहा गया है कि चर्चा को सिर्फ एक या दो जगहों तक ही सीमित रखा जाए जबकि LAC के हर हिस्से पर चीन की आर्मी का बड़ा जमावड़ा है।
हिंदुस्तान ने देपसांग सहित विवाद वाले सभी क्षेत्रों पर चर्चा करनी शुरू कर दी है। हिंदु्स्तान की तरफ से कहा जा चुका है कि LAC पर डिसइंगेजमेंट चर्चा के दौरान इन पर भी बातचीत होनी चाहिए। हिंदुस्तान ने चीन को उस वक्त उसके ही स्वाद का अनुभव कराया जब दक्षिणी हिस्से यानी चुशुल सेक्टर में स्थित सभी अहम स्थानों पर कब्जा कर लिया। वर्तमान में रेकिन ला, रेजांग ला और मुखपारी पर हिंदु्सतान की सेनाएं मौजूद हैं। सेना रणनीतिक तौर पर अहम स्पांगुर गैप पर अपना दबदबा बनाए हुए हैं।