किसान आंदोलन के छह माह : सरकारी हठधर्मिता व महामारी के बीच संघर्ष जारी, 26 मई को ‘काला दिवस’

img

लखनऊ। दिल्ली की सरहदों पर जारी किसान आंदोलन अपने छह माह पूरे करने जा रहा है। आंदोलित किसान लगातार सरकारी दमन और मौसम की मार भी झेल रहे हैं। कोरोना महामारी में भी वो अभी भी अपनी मांगों को लेकर पूरे जोश के साथ अपने संघर्ष को आगे बढ़ा रहे हैं। केंद्र सरकार शुरुआती वार्ताओं के बाद किसानों से अब वार्ता की भी इच्छुक नहीं दिख रही है। अब केंद्र सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ किसान संगठनों ने देशभर में ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने गत वर्ष नवंबर के आखिरी सप्ताह से अपने आंदोलन की शुरुआत की थी। इस दौरान कई बार केंद्रीय मंत्रियों संग किसान नेताओं की बैठक भी हुई, लेकिन दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके। किसानों को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री का रवैया हठधर्मिता वाला रहा।

छह माह से दिल्ली की सरहदों पर डटे किसानों को लगातार सरकारी दमन और मौसम की मार भी झेलनी पडी। उनपर तरह-तरह के आरोप लगाए गए। सरकार समर्थक संगठनों और मीडिया ने किसान आंदोलन को बदनाम करने में कोई कसर बाकी नहीं राखी। उन्हें खालिस्तान और आतंकवादी तक कहा गया। आंदोलन को ताड़ने की भी कोशिशें हुई, लेकिन किसान अपनी जगह डटे हुए हैं।

अब 26 मई, 2021 को किसान आंदोलन के छह माह पूरे पुरे होने पर आंदोलन को नया रूप देने की तैयारी की जा रही है। इस मौके पर किसान संगठनों ने देशभर में ‘काला दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 21 मई 2021 को सरकार को पत्र लिखकर वार्ता की टेबल पर आने को कहा है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की हठधर्मिता के विरोध में किसान अपने घर और ट्रैक्टर पर काले झंडे लगाकर विरोध करेंगे। किसानों की मांगे पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद वे फिर से देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर पंचायत करेंगे। बताते चलें कि किसान संगठनों के ‘काला दिवस’ के आह्वान का देशभर में मज़दूर संगठनों एवं सामाजिक संगठनों ने भी इस आह्वान का खुलकर समर्थन किया है।

Related News