सनातन परंपरा में पर्वों का सबंध ग्रहों और नक्षत्रों से है। ग्रहों के अद्भूत चाल के कारण इस बार हरिद्वार का कुंभ मेला 11वें साल ही पड़ रहा है। वैसे इसे हर 12वें वर्ष में मनाने की परंपरा है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति के कुंभ राशि और सूर्य के मेष राशि में आने से ऐसा संयोग बनता है। इस बार 11 मार्च शिवरात्रि के अवसर पर कुंभ मेला 2021 का पहला शाही स्नान होगा। इस बार कुंभ मेला 120 दिनों की जगह महज 48 दिनों का ही होगा। इसमें सभी 13 अखाडोब के साधू-संत बड़ी तादाद में डुबकी लगाने आते हैं।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को सूर्य का मेष राशि में आगमन होता ह। इसी तरह प्रत्येक 12 वर्ष बाद ब्रहस्पति का कुंभ राशि में आगमन होता है। लेकिन, इस बार ग्रहों के अद्भूत चाल के कारण 11वें वर्ष में ही 5 अप्रैल को आगमन हो रहा है। इसलिए एक वर्ष पहले ही हरिद्वार कुंभ का आयोजन किया जा रहा है।
हरिद्वार कुंभ उत्सव को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह है। कुंभ में स्नान करने से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। तीसरा मुख्य शाही स्नान: 14 अप्रैल मेष संक्रांति इस बार हरिद्वार कुंभ में पहला शाही स्नान 11 मार्च शिवरात्रि को, दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या को, तीसरा मुख्य शाही स्नान 14 अप्रैल मेष संक्रांति को और चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल बैसाख पूर्णिमा को है।
इसके अतिरिक्त लाखों की तादाद में आस्थावान लोग पवित्र गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य कमाएंगे। उत्तराखंड सरकार ने कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए पूरी व्यवस्था की है। इसबार कोरोना संक्रमण के चलते कुंभ में न आ पाने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी गंगाजल की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही कुंभ मेले में कोविड प्रोटोकॉल लागू रहेगा।