स्पोर्ट्स फेडरेशन को अस्थायी मान्यता देने से पहले उसे सुधारे खेल मंत्रालय

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नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि स्पोर्ट्स फेडरेशन को अस्थायी मान्यता देने के पहले यह पता लगाना जरूरी है कि वे स्पोर्ट्स कोड का पालन कर रहे हैं कि नहीं। जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने खेल मंत्रालय से कहा कि वो नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशंस को दुरुस्त करे। उसके बाद ही उन्हें अस्थायी मान्यता दे। कोर्ट ने इस मामले के पक्षकार राहुल मेहरा को नोटिस जारी कर 7 अगस्त तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

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सुनवाई के दौरान एएसजी चेतन शर्मा और केंद्र सरकार के वकील अनिल सोनी ने स्पोर्ट्स फेडरेशंस को अस्थायी मान्यता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि आगे आने वाले महीनों में ओलंपिक समेत कई खेल आयोजन होने हैं। अस्थायी मान्यता देने के बाद स्पोर्ट्स फेडरेशंस अपने खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर तैयार कर सकेंगे। हाई कोर्ट ने कहा कि जब जनवरी में इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई थी तब आप नहीं आए। ऐसे में आप जल्दबाजी में अंतरिम आदेश की मांग नहीं कर सकते हैं।

खेल मंत्रालय ने 57 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन को दोबारा मान्यता देने की अनुमति देने के लिए याचिका दायर किया है। खेल मंत्रालय ने हाई कोर्ट के 24 जून के आदेश पर 25 जून को 57 स्पोर्ट्स फेडरेशन की इस साल की अस्थाई मान्यता को रद्द कर दिया था। खेल मंत्रालय ने 54 नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन को अस्थाई मान्यता 30 सितंबर तक देने के लिए दोबारा याचिका दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना के चलते फेडरेशन का ऑडिट नहीं हो पाया है, इसीलिए 30 सितंबर तक के लिए अस्थाई मान्यता देने की मांग की गई है। अगर मान्यता नहीं मिली तो फेडरेशन के खिलाड़ी प्रैक्टिस करने स्टेडियम तक में नहीं जा सकते हैं।

पिछली 2 जून को खेल मंत्रालय ने 57 फेडरेशन को अस्थाई मान्यता दी थी, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद खेल मंत्रालय को इसे वापस लेना पड़ा। कोर्ट ने पिछली 7 फरवरी को खेल मंत्रालय को आदेश दिया था कि वो फेडरेशन से जुड़े किसी भी फैसले को करने से पहले कोर्ट की मंजूरी लेगा। इसके बावजूद खेल मंत्रालय ने अस्थाई मान्यता से जुड़े नोटिफिकेशन को हाई कोर्ट की मंजूरी लिए बिना ही जारी कर दिया गया था।

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