वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India) की सर्वे रिपोर्ट गुरुवार शाम सार्वजनिक हो गई। जिला न्यायालय से सर्वे रिपोर्ट की नकल पाने के बाद वादी हिन्दू पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने रिपोर्ट की पूरी जानकारी अपने सहयोगी अधिवक्ताओं, वादी हिन्दू पक्ष की महिलाओं के साथ एक होटल में मीडिया से साझा की। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट में एएसआई (Archaeological Survey of India) ने साफ कहा है कि मौजूदा ढांचे के निर्माण से पहले वहां एक बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। यह एएसआई का निर्णायक निष्कर्ष है। ज्ञानवापी में मंदिर का ढांचा मिला है। उन्होंने दावा किया कि सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया है। ज्ञानवापी में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया।
विष्णु शंकर जैन ने 839 पेज की रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दुओं का हवाला देकर कहा कि पहले से ज्ञानवापी में एक मंदिर की संरचना मौजूद थी। इस मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष और उत्तर की ओर एक छोटा कक्ष था। जो पहले मंदिर था उसे 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया है। बाद में उस हिस्से को मस्जिद में समाहित किया गया। अधिवक्ता ने कहा कि मौजूदा ढांचे में इस्तेमाल किए गए खंभों और प्लास्टर का एएसआई (Archaeological Survey of India) ने गहन अध्ययन किया। इन स्तंभों के हिस्सों का उपयोग बिना अधिक बदलाव के ही इस्तेमाल किया गया है। अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान ढांचे को मंदिर के ही अवशेष पर बनाया गया है। गुंबद साढ़े तीन सौ साल ही पुराना है। सर्वे में कई स्थानों पर मंदिर के अवशेष मिले हैं। कई खंभों पर देवी देवताओं के चित्र के साथ देवनागरी और संस्कृत में कई श्लोक लिखे हैं। उन्होंने बताया कि एएसआई की रिपोर्ट में ये पाया गया है कि मस्जिद की पश्चिमी दीवार एक हिन्दू मंदिर का भाग है। पत्थर पर फारसी में मंदिर तोड़ने में आदेश और तारीख मिली है। सर्वे में महामुक्ति मंडप लिखा पत्थर भी मिला है।
अधिवक्ता ने बताया कि एक कमरे में अरबी और फारसी में लिखे पुरालेख मिले हैं। जो बताते हैं कि ये मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल के 20वें वर्ष यानी 1667-1677 में बनी। साथ ही तहखाने में मिट्टी के अंदर दबी ऐसी कई आकृतियां मिलीं, जो उकेरी लग रही थी। खास बात यह है कि एएसआई (Archaeological Survey of India) ने जदुनाथ सरकार के उस निष्कर्ष पर भी भरोसा किया है, जिसमें कहा गया है कि 02 सितंबर 1669 को मंदिर ढहा दिया गया था।
उन्होंने बताया कि मस्जिद परिसर में नागर शैली के कई ऐसे निशान मिले हैं जो बताते हैं कि ये एक हजार साल पुराने हैं। जबकि मस्जिद केवल साढ़े तीन सौ साल पुरानी है। 32 ऐसे जगह प्रमाण भी मिले हैं कि जो साफ बता रहे हैं कि वहां हिंदू मंदिर था। उन्होंने पूरे विश्वास से कहा कि अब उनकी कोशिश होगी कि सील वजूखाने का भी सर्वे कराया जाए। इसके लिए अदालत में अपील की जाएगी। उन्होंने कहा कि हिंदुओं को वहां पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए।
गौरतलब हो कि जिला अदालत ने एएसआई की सर्वे रिपोर्ट (ASI survey report) की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। प्रतिवादी पक्ष ने इसकी मांग की थी। जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट जिला अदालत में दाखिल किया था।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ईडी के समन के जवाब में कहा, व्यस्तता के चलते 31 मार्च तक नहीं दे सकता समय
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