अजब गजब: इस गांव में 30 साल की उम्र में ही बूढ़े होने लगते हैं लोग, कम उम्र में ही गिर जाता है दांत, झुक जाता है शरीर

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बांका। अगर जवानी में ही कोई बूढा दिखने लगे तो आपको कैसा महसूस होगा। कभी सोचा हैं आपने? शायद नहीं, लेकिन बिहार के बांका जिले में एक गांव है जहां के लोग जवानी में ही बूढ़े हो जाते हैं। आइए आपको आखिर ऐसा क्या है इस गांव में जिससे यहां के लोग समय से पहले बूढ़े हो जा रहे हैं।

Fluoride Water

दरअसल, ये पूरा मामला यहां मिलने वाले फ्लोराइड युक्त पानी से जुड़ा है। कहा जा रहा है कि इस पानी के पीने से लोग जवानी में ही बूढ़े नजर आने लगते हैं। इस गांव के अधिकतर लोगों में दिव्यांगता के लक्षण भी दिखाई देते हैं। हर किसी को पैर से लेकर पूरे शरीर में दर्द की समस्या रहती है। साथ ही जवानी में ही उनका शरीर झुक जाता है। इस गांव में पैदा होने वाले कई बच्चे बचपन से ही दिव्यांग हैं।

ग्रामीण बताते हैं

जिले के फुल्लीडुमर प्रखंड की भितिया पंचायत के वार्ड नंबर-14 अंतर्गत आदिवासी बहुल निरपाडीह गांव में लगभग डेढ़ सौ लोग रहते हैं। गांव में पीने वाले पानी को लेकर काफी समस्या है। इस गांव में पीने के पानी के लिए एकमात्र पुराना कुआं है जहाँ से सरे ग्रामीण पानी भरते हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव के लोग 30 वर्ष की उम्र पार करते-करते ही कई बीमारियों से ग्रसित ने लगते हैं। उनके पैर व घुटने में दर्द होने लगता है।

धीरे-धीरे पैर में टेढ़ापन आ जाता है और दांत भी पीले होकर गिरने लगते हैं। ऐसे में जवानी में ही लोग बूढ़े नजर आने लगते हैं। इस बीमारी से पीड़ित ग्रामीण मोतीलाल सोरेन, भुदेव सोरेन आदि ने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी की वजह से गांव के लोगों को इस तरह की बीमारी हो रही है लेकिन प्रशासन द्वारा आज तक इसके निवारण के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया।

ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोगों ने अपने घरों में चापा कल भी लगवाया है लेकिन उसका भी पानी पीने लायक नहीं है। दो वर्ष पूर्व गांव में नल-जल योजना से पाइप बिछाई गई लेकिन आज तक एक भी बूंद पानी नहीं मिला।

क्या कहते हैं चिकित्सक?

इस संबंध में फुल्लीडुमर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. संजीव सिंह ने कहते हैं कि पिछले वर्ष दिव्यांग शिविर के क्रम में निरपाडीह गांव के कुछ लोग दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए हुए थे। इसी दौरान पता चला था कि गांव के अधिकतर दिव्यांग हैं।

वहीं, पीएचसी प्रभारी का कहना हैं कि आर्थिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ा यह गांव जंगल और पहाड़ के बीच स्थित है। यहां के लोग कई वर्षों से फ्लोराइड युक्त दूषित पी रहे हैं जिससे गांव के लोग दिव्यांग होने के साथ-साथ कम उम्र में ही कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

पीएचईडी बांका के अभियंता मिंटू कुमार के अनुसार निरपाडीह गांव की जानकारी मिलने पर बीते 25 फरवरी को गांव पहुंचकर पानी का सैंपल लिया गया था और उसे पटना भेजा गया था। रिपोर्ट में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाया गई है। अब पीएचईडी कार्यपालक अधीक्षण अभियंता एवं पीएचईडी विभाग के सीनियर अधिकारियों द्वारा इसे देखा जा रहा है।

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