उत्तराखंडः सीएम का सख्त रुख, कहा- बैठकों में लिये गए निर्णयों का समय से हो अनुपालन

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देहरादून॥ CM त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सोमवार को सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बैठकों में लिये गए निर्णयों का अनुपालन समयबद्धता के साथ सुनिश्चित किया जाए। कार्रवाई सिर्फ पत्राचार तक ही सीमित न रहे। उसका आउटपुट दिखना चाहिए। CM यहां सचिवालय में उत्तराखंड राज्य वन्य जीव सलाहकार बोर्ड की 15वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी भी बैठक का कार्यवृत्त उसी दिन बन जाना चाहिए।

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CM ने कहा कि एनएच 72-ए उत्तराखंड के लिए बहुत अधिक महत्व का है। इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्वीकृतियों के लिए आवश्यक औपचारिकताओं में किसी प्रकार की देरी न हो। कार्बेट रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व में गैंड के रिइन्ट्रोडक्शन का काम समयबद्ध तरीके से हो। राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चौरासी कुटिया का विकास इंटीग्रेटेड एप्रोच के आधार पर किया जाए।

इसकी कार्ययोजना में वन्य जीवन, आध्यात्मिकता, संस्कृति सहित सभी पहलुओं का समावेश किया जाए। गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान में स्थित गरतांग गली ट्रेल के मार्ग का पुनरुद्धार, इसकी मौलिकता को परिरक्षित रखते हुए किया जाए। आरक्षित वन क्षेत्रों में टोंगिया ग्रामों को राजस्व ग्रामों का दर्जा देने और संरक्षित क्षेत्रों से ग्रामों के विस्थापन के बाद वन भूमि पर बसाये गए नए स्थलों के नवीनीकरण और डिनोटिफिकेशन का काम शीघ्र किया जाए।

बैठक में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के अंतर्गत राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण विभिन्न मार्गों के निर्माण के लिए प्रस्तावों को अनुमति के लिए राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजे जाने पर सहमति दी गई। इसी प्रकार सौंग बांध परियोजना के निर्माण से संबंधित वन भूमि हस्तांतरण और जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए वन भूमि हस्तांतरण के लिए अनुमति का प्रस्ताव भी राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड को भेजा जाएगा।

बैठक में बताया गया कि कार्बेट टाइगर रिजर्व व राजाजी टाइगर रिजर्व में बाघों और जंगली हाथियों की धारण क्षमता का अध्ययन भारतीय वन्यजीव संस्थान से कराने के लिए प्रस्ताव प्राप्त हो गया है। इसी प्रकार गैंडे के रिइन्ट्रोडक्शन के लिए साइट सूटेबिलिटी रिपेार्ट मिल गई है। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा के रेशनलाइजेशन के लिए संबंधित जिलाधिकारियों, प्रभागीय वनाधिकारियों और भारतीय वन्यजीव संस्थान के प्रतिनिधि की एक समिति का गठन कर लिया गया है।

इस दौरान बैठक में जानकारी दी गई कि 6 जून से 8 जून तक तीन दिन उत्तराखंड में हाथियों की गणना की गई। इसमें पाया गया कि राज्य में कुल 2026 हाथी हैं। वर्ष 2012 में 1559 जबकि 2017 में 1839 हाथी थे। इस प्रकार वर्ष 2017 से हाथियों की संख्या में 10.17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी प्रकार 22 से 24 फरवरी 2020 में जलीय जीवों की गणना की गई।

इसमें पाया गया कि राज्य में 451 मगरमच्छ, 77 घड़ियाल और 194 ऊदबिलाव हैं। बताया गया कि वर्ष 2020 से 2022 तक राज्य में स्नो-लैपर्ड की जनसंख्या का आकलन भी किया जाएगा। राज्य के 23 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र में स्नो-लैपर्ड हैं।

बैठक में वनमंत्री डॉ. हरक सिंह रावत, विधायक धन सिंह नेगी, दीवान सिंह बिष्ट, सुरेश राठौर, मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, सचिव दिलीप जावलकर, सौजन्या, डीजीपी (लाॅ ऐंड आर्डर) अशोक कुमार सहित बोर्ड के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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