बांग्लादेश में ऐसे कट्टरपंथी फैला रहे हैं आतंकवाद, सरकार ने सख्त उठाया ये बड़ा कदम

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ढाका। बांग्लादेश में मजहबी जलसों के जरिए कट्टरपंथियों द्वारा लगातार फैलाए जा रहे आतंकवाद पर रोक लगाने हेतु बांग्लादेश की सरकार ने ठोस कदम उठाए हैं। ऐसे 15 लोगों की सूची तैयार की गई है जो फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के साथ-साथ जमीनी तौर पर मजहबी जलसों में उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले विचारधारा को युवाओं में भर रहे हैं।
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15 वक्ताओं की सूची तैयार

बांग्लादेश की ख़ुफ़िया एजेंसी ने इस्लामिक जलसा, वाज़ महफ़िल, फ़ेसबुक, यूट्यूब पर मौजूद कंटेंट्स की मदद से 15 वक्ताओं की एक सूची को भ्रामक बयानों, अतिवाद, संप्रदायवाद और बांग्लादेश में उग्रवाद को उकसाने के लिए संकलित किया है। बांग्लादेश सरकार इनपर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है।

3 वक्ताओं पर प्रतिबंध

बांग्लादेश के कोमिला जिले में 3 वक्ताओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कोविड-19 संकट के समय जलसे पर प्रतिबंध के बावजूद बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी को इस्लामिक जलसा, वाज़ महफ़िल और धार्मिक समारोहों को बिना प्रशासन की अनुमति के आयोजित किया गया था, जहां उग्रवाद फैलाने वाली विचारधाराएं परोसी गईं। खुफिया एजेंसी ने ऐसे आयोजकों और वक्ताओं पर नजर रखने सहित छह बिंदुओं की सिफारिश की है। संगठन की सिफारिशें बांग्लादेश के गृह मंत्रालय, इस्लामिक फाउंडेशन ऑफ़ बांग्लादेश, नेशनल बोर्ड ऑफ़ रेवेन्यू सहित संबंधित विभागों को भेजी जा रही हैं।
खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक जलसा, वाज़ महफ़िल और धार्मिक समारोह सर्दियों के मौसम में पूरे बांग्लादेश में होते हैं। कोरोना प्रकोप के बीच, देश के गांवों, कस्बों और बंदरगाहों में इस्लामिक त्योहारों, वाज़ महफ़िलों और धार्मिक समारोहों का आयोजन बिना किसी प्रशासनिक अनुमति के किया गया जहां युवाओं को आतंकवाद के तरफ बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है। इन समारोहों के लिए स्थानीय प्रशासन की अनुमति का नियम है लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है।

भड़काऊ भाषण वाले वक्ताओं और कार्यक्रमों की तस्वीरें वायरल

इन कार्यक्रमों में वक्ताओं के नामों के पहले और बाद में महान विद्वान, उलेमा मशायके, औलिया, हुज़ूर शीर्षक लगाए जाते हैं। ऐसे खिताब वाले कुछ लोग अल्लाह, रसूल, दीन और धर्म के प्रचार के नाम पर भ्रामक, भड़काऊ, अतिवादी, संप्रदायवादी और उग्रवादी बयान दे रहे हैं। केवल जलसा या वाज़ महफ़िलों में ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया जैसे फ़ेसबुक और यूट्यूब पर भी, भड़काऊ भाषण वाले वक्ताओं और कार्यक्रमों की तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
खुफिया एजेंसियों ने आशंका जताई है कि इससे देश में उग्रवाद, संप्रदायवाद, आतंकवाद और भारत विरोधी भावनाएं फैलेंगी। खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश सरकार ने देश के गांवों, कस्बों और बंदरगाहों में कम कीमत पर इंटरनेट कनेक्शन का मौका दिया है। सोशल मीडिया फेसबुक, यूट्यूब पर इस्लामिक जलसा और वाज़ महफ़िल का वीडियो इंटरनेट कनेक्शन के ज़रिए वायरल किया जा रहा है, इससे सांप्रदायिकता और उग्रवाद फैलने का ख़तरा है। इतना ही नहीं, कुछ वक्ता अपने भाषणों में महिलाओं के अधिकारों सहित विभिन्न मुद्दों पर नफरत या हिंसा फैला रहे हैं।

सतर्क रहने के लिए कहा गया

अधिकारियों को इन मामलों के बारे में सतर्क रहने के लिए कहा गया है। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामिक जलसा और वाज़ महफ़िल के कुछ वक्ता राज्य के विभिन्न मुद्दों पर नफरत और हिंसा भड़का रहे थे, जिसमें सांप्रदायिक उकसाव, उग्रवाद को बढ़ावा, महिलाओं के अधिकार, बंगाली नव वर्ष, शहीद मीनार पर माल्यार्पण, भारत से घृणा और मूर्तिकला के खिलाफ विद्रोह शामिल हैं।

सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रहना असंगत

बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की मूर्ति के बारे में धर्म के नाम पर भ्रामक फतवे के साथ देश भर में तनाव फैल गया है। बांग्लादेश के कुष्टिया में, बंगबंधु की मूर्ति के साथ बर्बरता के आरोप में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा, देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक उकसावे के परिणामस्वरूप, अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय में दहशत फैल गई है। यहां तक ​​कि कुछ स्थानों पर अप्रिय घटनाएं भी हुई हैं, जिससे देश में सांप्रदायिक सद्भाव के साथ रहना असंगत हो गया है।
खुफिया एजेंसी की छह-सूत्रीय सिफारिश में कहा गया है कि धार्मिक राजनीति या मुख्यधारा की राजनीति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल होने वाले वक्ता भ्रामक, उत्तेजक, उग्रवादी, संप्रदायवादी और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले होते हैं। ऐसे वक्ताओं के कारण, इस्लामिक जलसा या वाज़ महफ़िल के बारे में किसी भी गलत धारणा से बचने के लिए विभिन्न सिफारिशें हैं। इन सिफारिशों में वाज़ महफ़िल में वक्ताओं के प्रशिक्षण का प्रावधान है, सिफारिशों में से एक मदरसा में उच्च शिक्षकों के बीच से वाज़ को एक वक्ता के रूप में पंजीकरण की व्यवस्था करना है।
इसमें यह भी कहा गया है कि आयकर विभाग यह जांच कर सकता है कि क्या वाज़ महफ़िल में बोलने वाले लोग हेलीकॉप्टर में जाते हैं और बड़ी रकम लेते हैं। स्थानीय प्रशासन वाज़ महफ़िल में किसी भी वक्ता को चेतावनी दे सकता है अगर वह भड़काऊ और घृणित टिप्पणी करता है तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई का अधिकार देना होगा। सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करके देश विरोधी वक्ताओं को कानून के दायरे में लाने की भी सिफारिश की गई है।

खुफिया अधिकारी बोला

वाज़ महफ़िल लोगों को इस्लाम के रास्ते पर लाने का एक शानदार तरीका है। एक खुफिया अधिकारी ने कहा कि अधिकांश बांग्लादेशी मुस्लिम हैं और यहां का धर्म इस्लाम है। इस्लामिक जलसा और वाज़ महफ़िल का नाम सुनकर बड़ी संख्या में मजहब प्रेमी एकत्रित होते हैं। अल्लाह, उसके रसूल, दीन और इस्लाम का उपदेश करके जागरूकता पैदा करना बहुत अच्छी बात है। यह लोगों में विश्वास का निर्माण करता है और उन्हें एकजुट होने में मदद करता है। लेकिन ऐसे बयान देना उचित नहीं है जो भ्रामक, भड़काऊ, अतिवादी, संप्रदायवादी, उग्रवादी और आतंकवाद की भावनाओं को भड़काने वाले हैं।
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