अचानक चंद्रयान 2 को लेकर नासा ने दे इतनी बड़ी जानकारी, इसरो ने छोड़ दी उम्मीद, लेकिन अचानक…

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नई दिल्ली ।। हिंदुस्तान के महत्‍वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क की सभी उम्‍मीदें समाप्त सी हो गई हैं। दरअसल इसके पीछे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर काली अंधेरी रात छाना माना जा रहा हैं। विक्रम से संपर्क टूटने के बाद 14 दिनों तक लोग फिर से संपर्क जुड़ने की आस लगाए बैठे थे लेकिन शनिवार तड़के से चंद्रमा पर रात शुरू होने के साथ ही अब संपर्क की सारी संभावनाएं खत्‍म हो गई हैं।

लाख प्रयास के बाद भी विक्रम से संपर्क न होने पर अब यह सवाल लोगों के जेहन में कौंध रहा है कि चंद्रमा की सतह पर बेजान पड़े विक्रम का हाल कैसा है? चंद्रमा की सतह पर माइनस 173 डिग्री सेल्सियस की जमा देने वाली ठंड झेलने के बाद विक्रम का हाल कैसा होगा? इन सभी प्रश्‍नों का जवाब अगले महीने नासा दे सकता है।

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (एलआरओ) के प्रॉजेक्‍ट साइंटिस्ट नोआ ई पेत्रो ने एक बातचीत में कहा, ‘एलआरओ 17 सितंबर को उस स्‍थान से गुजरा था जहां पर विक्रम गिरा है। उस समय चंद्रमा पर शाम हो रही थी। अंधेरे की काली छाया ने चंद्रमा के एक बड़े हिस्‍से को अपने आगोश में ले लिया था। एलआरओ ने लैंडिंग साइट की तस्‍वीर ली लेकिन विक्रम के गिरने की असली जगह पता नहीं थी, इसलिए कैमरा बहुत स्‍पष्‍ट तस्‍वीरें नहीं ले सका।’

पेत्रो ने कहा कि अभी ताजा तस्‍वीरों की जांच चल रही है। हालांकि इस बात की प्रबल संभावना है कि शाम होने की वजह से विक्रम के लैंडिंग एरिया में छाया आ गई हो या फिर जिन जगहों की तस्‍वीरें ली गई हैं, उस जगह पर अंधेरा छा गया हो। उन्‍होंने कहा, ‘नासा का एलआरओ अब 14 अक्‍टूबर को लैंडिंग साइट से फिर गुजरेगा। उस समय चंद्रमा पर दिन होगा और अच्‍छी तस्‍वीरें ली जा सकेंगी। नासा 17 अक्‍टूबर की तस्‍वीरों की जांच के बाद जल्‍द ही इसके परिणाम दुनिया को बताएगा।’

इस बीच ISRO के चेयरमैन के सिवन ने भी शनिवार को माना कि लैंडर विक्रम से उनका संपर्क नहीं हो सका है। सिवन ने कहा कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बहुत अच्‍छा काम कर रहा है। इसमें लगे सभी 8 उपकरण सही हैं और अपना काम कर रहे हैं। बता दें कि लैंडर का जीवनकाल एक चंद्र दिवस यानी कि धरती के 14 दिन के बराबर था।

7 सितंबर को तड़के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ में असफल रहने पर चांद पर गिरे लैंडर का जीवनकाल कल (शनिवार को) खत्म हो गया। सात सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक चांद का एक दिन पूरा हो गया। गौरतलब है कि नासा का एलआरओ चंद्रमा की सतह से 50 किमी ऊंचाई पर चक्‍कर काट रहा है जबकि हिंदुस्तान का ऑर्बिटर करीब 100 किमी की ऊंचाई पर है। नासा का एलआरओ ISRO के ऑर्बिटर से ज्‍यादा अच्‍छी तस्‍वीरें ले सकता है। नासा के एलआरओ ने ही इजरायल के लैंडर की तलाश की थी।

दरअसल, नासा को भी विक्रम के सॉफ्ट लैंडिंग में आई दिक्‍कत के कारणों की जांच का बेसब्री से इंतजार है। नासा भी अगले वर्ष 2021 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना मानवयुक्‍त मिशन भेजने की तैयारी कर रहा है। विक्रम के लैंडिंग में आई गड़बड़ी पर उसकी बारिकी से नजर है।

नासा के एस्‍ट्रोबोटिक के मिशन डायरेक्‍टर शरद भास्‍करन ने कहा है कि ISRO का मिशन बेहद सफल रहा है। हमारी चुनौती इस मिशन को समझना है ताकि जब चंद्रमा पर दोबारा इंसान को भेजा जाए तो इस तरह की गड़बड़ी न हो। अगर डिजाइन में कुछ बदलाव की जरूरत होगी तो हम करेंगे।

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