तालिबान को समर्थन देना चीन को पड़ा महंगा, जानें ड्रैगन को अब क्यों हो रहा पछतावा

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तालिबान को निरंतर समर्थन दे रहे चीन को अब अपनी भूल का अंदाजा होने लगा है। बीते दिनों ड्रैगन ने एक वरिष्ठ मंत्री ने अफगानिस्तान की गंभीर स्थिति पर अपनी गहरी चिंता जताई है। मंत्री ने कहा है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट, अल कायदा जैसे दल क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ाने में लगे हुए हैं।

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मीडिया की एक रिपोर्ट बताती है कि ऐसा लगता है कि ड्रैगन को अफगानिस्तान में तालिबान को गले लगाने की अपनी भूल का पछतावा होने लगा।

चीन को नहीं रहा तलिबान पर विश्वास

अगस्त 2021 में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया तो ड्रैगन सबसे पहले तालिबान तक पहुंचने वाले मुल्कों में से था। अब चार महीने गुजर जाने के उपरांत ड्रैगन तालिबान से विश्वास खो रहा है। तालिबान एक मर्तबा फिर अपना भयावहा चेहरा दिखा रहा है और औरतों व अल्पसंख्यकों पर जुल्म कर रहा है।

आपको बता दें कि 22 दिसंबर को चीनी सहायक विदेश मंत्री वू जियानघाओ ने कहा था कि जिन आतंकी दलों के लिए सरहदों व सरहदों का कोई अर्थ नहीं है, उन्हें अकेले एक राष्ट्र द्वारा नहीं लड़ा जा सकता है। विदेश मंत्री ने कहा था कि यूएन को आतंकवाद से निपटने के लिए हाथ मिलाना चाहिए।

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