सभी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को 10 अगस्त तक मिलेगी पूरी सैलरी, कोर्ट ने केंद्र सरकार पर चलाया डंडा

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नई दिल्ली॥ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि 10 अगस्त तक सभी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को वेतन दिया जाना सुनिश्चित करें। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि क्वारेंटाइन अवधि में जाने पर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को छुट्टी में गिने जाने पर जरूरी स्पष्टीकरण जारी करें।

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सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट के निर्देश के बावजूद दिल्ली, महाराष्ट्र, पंजाब, त्रिपुरा और कर्नाटक में कोरोना मरीजों के इलाज में जुड़े डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को नियमित तौर पर वेतन नहीं मिल रहा है। तब कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि डॉक्टरों को 10 अगस्त तक वेतन दिया जाना सुनिश्चत करें।

सुनवाई के दौरान डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की ओर से कहा गया कि ड्यूटी देने के बाद जितने दिन उन लोगों को क्वारेंटाइन रहना पड़ा, उन दिनों का वेतन काट लिया गया है। तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उसके बाद कोर्ट ने मेहता से कहा कि इस बारे में जरूरी स्पष्टीकरण जारी करें ताकि क्वारेंटाइन के दौरान का वेतन नहीं काटा जाए।

कोर्ट ने पिछली 17 जून को केंद्र को निर्देश किया था कि वे राज्यों को डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के वेतन का भुगतान सुनश्चित करने का निर्देश जारी करें। कोर्ट ने केंद्र से कहा था कि कोरोना के इलाज में लगे लोगों के उचित क्वारंटीन पर भी निर्देश जारी करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो राज्य पालन न करें, उसके मुख्य सचिव और संबंधित अधिकारियों पर डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए।

वरना कड़ी सजा मिलेगी

कोरोना से लड़ रहे डॉक्टरों व चिकित्साकर्मियों को बेहतर सुविधाएं देने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या हाई कोर्ट इस मामले की निगरानी नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया है कि डॉक्टरों का वेतन नहीं काटा जाएगा, चीफ सेकेट्री यह सुनिश्चित करेंगे वरना कड़ी सजा मिलेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली 12 जून को इस बात पर आपत्ति जताई थी कि डॉक्टरों और हेल्थकेयर स्टाफ को सैलरी नहीं मिल रही है और उन्हें क्वारेंटाइन होने के लिए आवासीय इंतजाम नहीं हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा था कि कोई नहीं चाहेगा कि बीमारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमारे सैनिक असंतुष्ट रहें। कोर्ट ने 15 मई को केंद्र सरकार से पूछा था कि क्या कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों के लिए अस्पताल के पास ही आवास की व्यवस्था हो सकती है। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वे इसके लिए केंद्र सरकार का निर्देश लेकर सूचित करें।

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