अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार को दिया ये निर्देश

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नयी दिल्ली।। जम्मू-कश्मीर के मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में दखल देने से ही इंकार कर दिया है और सरकार को हालात सामान्य होने के लिए वक्त दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि रातों रात हालात सामन्य नहीं हो सकते। इससे पहले अटॉर्नी जनरल ने बुरहान वानी वाली घटना का ज़िक्र करते हुए कहा कि उस घटना में 46 लोग मारे गये थे।

कोर्ट ने कहा कि कश्मीर में इस वक्त हालात नाज़ुक हैं और कुछ लोग केवल एक मौके का इंतजार कर रहे हैं। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल से पूछा कि स्थिति को सामान्य होने में कितना समय लगेगा। अटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया कि केंद्र रोज़ाना स्थिति का जायज़ा ले रही है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष कांग्रेस कार्यकर्ता तहसीन पूनावाला की याचिका सुनवाई के लिये सूचीबद्ध किया था।

याचिकाकर्ता पूनावाला ने अपनी याचिका में कहा था कि वह अनुच्छेद 370 के बारे में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं लेकिन वह चाहते हैं कि वहां से कर्फ्यू एवं पाबंदियां तथा फोन लाइन, इंटरनेट और समाचार चैनल अवरूद्ध करने सहित दूसरे कथित कठोर उपाय वापस लिये जायें। इसके अलावा, कांग्रेस कार्यकर्ता ने पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है जो इस समय हिरासत में हैं।

इसके साथ ही उन्होंने जम्मू और कश्मीर की वस्तुस्थिति का पता लगाने के लिये एक न्यायिक आयोग गठित करने का भी अनुरोध किया है। उन्होंने याचिका में दावा किया है कि केन्द्र के फैसलों से संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

याचिका के अनुसार समूचे राज्य की एक तरह से घेराबंद कर दी गयी है और दैनिक आधार पर सेना की संख्या में वृद्धि करके इसे एक छावनी में तब्दील कर दिया गया है जबकि संविधान संशोधन के खिलाफ वहां किसी प्रकार के संगठित या हिंसक विरोध के बारे में कोई खबर नहीं है।

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