स्वाति मालीवाल की तबीयत बिगड़ी, मोदी सरकार के तरफ से नहीं पहुंचा कोई नुमाइंदा

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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पिछले 13 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी हुई थी, जिसके वजह से उनकी सेहत में लगातार गिरावट हो रही थी. वहीं आज सुबह उनकी हालत बिगड़ गई और वो बेहोश हो गई. जिसके बाद उन्हें उनको एलएनजेपी हॉस्पिटल ले जाया गया है. आपको बता दें कि वो बलात्कारियों को जल्द से जल्द फांसी देने की मांग को लेकर पिछले 13 दिन से अनशन पर बैठी हैं.


वहीं अनशन की वजह से स्वाति मालीवाल का वजन भी घटा है. दिल्ली महिला आयोग के मुताबिक स्वाति मालीवाल कमजोरी के चलते बात भी करने में असमर्थ हैं.

डॉक्टरों ने बताया कि स्वाति मालीवाल का यूरिक एसिड बढ़ा हुआ था और वाइटल पैरामीटर फ्लक्चुएट कर रहा था. इसकी वजह से उन्हें तुरंत एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया. दरअसल, सुबह वह बेहोश हो गई थीं लिहाजा उन्हें अस्पताव में भर्ती कराने का फैसला लिया गया.

स्वाति मालीवाल का वजन 7 किलो कम हो गया है और देर रात जब डॉक्टर्स की टीम ने चेकअप किया तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी. लेकिन वह मानीं नहीं और आज सुबह बेहोश हो गईं.

दिल्ली महिला आयोग के एक सदस्य ने बताया कि आज उनका अनशन का 13वां दिन था. स्वाति मालीवाल से जुड़े लोगों का कहना है कि केंद्र सरकार का कोई भी नुमाइंदा राजघाट नहीं पहुंचा. इससे वह काफी व्यथित थीं. उन्होंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई. निर्भया के दोषियों को अभी तक फांसी नहीं मिली है.

महिला सांसदों को लिखी चिट्ठी

रेप मामले में दोषियों को फांसी देने की मांग करने वालीं स्वाति मालीवाल महिला सांसदों को झकझोर चुकी हैं. अनशन स्थल से स्वाति ने महिला सांसदों को पत्र लिखकर झकझोरने की कोशिश की है. उन्होंने दुष्कर्मियों के लिए सख्त कानून की मांग संसद में उठाने की मांग की है.

स्वाति ने कहा, “यदि आप मांग संसद में नहीं उठा पातीं तो उम्मीद करूंगी कि राजघाट आकर देश की बेटियों के अनशन में भाग लेंगी और तब तक नहीं रुकेंगी जब तक देश में महिला अपराध के खिलाफ मजबूत तंत्र नहीं बन जाता.”

स्वाति मालीवाल ने पत्र में कहा कि पिछले तीन सालों में दिल्ली महिला आयोग ने 55,000 केस की सुनवाई की है. हेल्पलाइन 181 पर ढाई लाख कॉल्स अटेंड कीं और 75000 ग्राउंड विजिट की.

उन्होंने कहा कि सिर्फ कानून बना देना काफी नहीं है, उसको लागू भी करना होगा. इसलिए यह जरूरी है कि तत्काल सभी ‘रेपिस्टों’ को छह महीने में फांसी की सजा का कानून लागू हो. स्वाति मालीवाल ने महिला सांसदों से कम से कम छह मांगें संसद में उठाने की मांग की है. पहली मांग है कि निर्भया के दोषियों को तुरंत फांसी दी जाए, क्योंकि इंतजार करते-करते आठ साल हो गए.

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