काबुल। अफगानिस्तान पर हुए तालिबानी कब्जे के बाद लोगों को लगा था कि वहां मौजूद बुद्ध की तमाम प्रतिमाएं तोड़ दी जाएगी लेकिन इस बार ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। तालिबानी महात्मा बुद्ध की इन मूर्तियों को तोड़ने की बजाय उनकी हिफाजत कर रहे हैं। वहीं दो दशक पहले जब तालिबानियों ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तो उन्होंने वहां मौजूद बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा को ढहा दिया था। दरअसल तालिबानी इन प्रतिमाओं को बुतपरस्ती का चिह्न मान रहे थे।
बता दें कि इस बार इन प्रतिमाओं को न तोड़ने का मतलब ये नहीं कि वे उदारवादी हो गए हैं बल्कि ऐसा करने के पीछे उनका स्वार्थ छिपा है। ऐसा वे चीन को खुश करने के लिए कर रहे हैं। मालूम हो कि आज भी अफगानिस्तान के तमाम गावों में मौजूद गुफाओं में बुद्ध की बहुत सारी प्रतिमाएं हैं लेकिन तालिबानी यहां तनिक भी तोड़फोड़ नहीं कर रहे हैं।
तालिबानियों को उम्मीद है कि यहां स्थिति तांबे के अकूत भंडार के बदले में अगर चीन उसकी आर्थिक मदद कर दे तो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच उसे थोड़ी राहत मिल जाएगी।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में धातुओं का अकूत भंडार है। हालांकि अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते कई देश छह कर भी यहां निवेश नहीं कर पा रहे हैं। वहीं अगर चीन यहां निवेश करता है तो अफगानिस्तान को बड़ा लाभ मिल सकता है और उसे अपनी आर्थिक व्यवस्था सुधारने में मदद मिल सकती है।