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Up kiran,Digital Desk : केंद्र सरकार का 2025 तक देश को तपेदिक (Tuberculosis) यानी टीबी से पूरी तरह मुक्त करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य अब दम तोड़ता नजर आ रहा है. यह दुनिया के सबसे बड़े स्वास्थ्य मिशनों में से एक माना जा रहा था, लेकिन हकीकत इसके बिल्कुल उलट है. खत्म होने की बजाय, पिछले पांच सालों में टीबी के मरीजों की संख्या में डेढ़ गुना की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह चौंकाने वाला खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मिली जानकारी से हुआ है.

आंकड़े दे रहे हैं टेंशन

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय क्षय रोग प्रभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़े न सिर्फ चौंकाते हैं, बल्कि एक गंभीर तस्वीर पेश करते हैं.

यानी, मरीजों की संख्या घटने की बजाय लगातार बढ़ती जा रही है. इस साल भी, अक्टूबर तक ही 20,77,591 मामले सामने आ चुके हैं. यह स्थिति तब है जब 2025 के लक्ष्य को पूरा करने में बस एक साल से कुछ ही ज्यादा का वक्त बचा है.

किन राज्यों में स्थिति सबसे खराब?

आरटीआई के आंकड़ों के अनुसार, कुछ राज्यों में स्थिति बेहद चिंताजनक है.

इस सूची में एकमात्र राहत की खबर लक्षद्वीप से है, जो टीबी से सबसे कम प्रभावित क्षेत्र है. यहां जून 2025 तक केवल नौ मामले ही सामने आए हैं.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

इन बढ़ते आंकड़ों के बीच, स्वास्थ्य विशेषज्ञ समय पर पहचान और पूरे इलाज पर जोर दे रहे हैं. गोरखपुर स्थित 'पल्मनोलॉजी रीजेंसी हॉस्पिटल' के कंसल्टेंट डॉ. आमिर नदीम का कहना है, "टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो 'माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस' बैक्टीरिया से होती है. अगर समय पर इसकी पहचान और इलाज न हो, तो यह जानलेवा हो सकती है. अच्छी बात यह है कि टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है, लेकिन इसके लिए शर्त यह है कि मरीज इलाज को बीच में न छोड़े और दवाइयों का पूरा कोर्स करे."

सरकार की 'निक्षय पोषण योजना' के तहत मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए आर्थिक मदद और मुफ्त दवाइयां दी जाती हैं. इसके बावजूद मरीजों की बढ़ती संख्या यह सवाल खड़ा करती है कि आखिर 2025 तक टीबी मुक्त भारत का सपना कैसे पूरा होगा.