यूपी में आतंकी संगठनों ने बिछा रखा है स्लीपिंग माड्यूल्स का जाल

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लखनऊ। भारत पिछले कई दशकों से इस्लामिक आतंकवाद का शिकार हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठन अलक़ायदा और आईएसआईएस और पाकिस्तान पोषित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा तथा जैस-ए-मोहम्मद की जड़ें देश में तेजी से फैली हैं। इन आतंकी संगठनों की उत्तर प्रदेश में गहरी पैठ है। इस बात का खुलासा खुद यूपी के आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) तीन साल पहले कर चुका है।

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उल्लेखनीय है कि एटीएस की टीम ने तीन साल पहले गोरखपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़ और मध्य प्रदेश के रीवां में छापे मारकर 10 लोगों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के लिए टेरर फंडिंग में मदद का जुर्म कुबूल किया था। इसी तरह यह भी खुलासा हुआ था कि लखनऊ समेत सूबे के कई जिलों में आतंकी संगठनों ने अपने स्लीपिंग माड्यूल्स बना रखे हैं।

इसी तरह मार्च 2017 में सुरक्षा बलों ने लखनऊ में आतंकी सैफुल्ला को मार गिराया था, जो आइएसआइएस के खुरासान मॉड्यूल का सदस्य था। वह कानपुर का रहने वाला था। वारदात के बाद कानुपर और उन्नाव में भी कई आतंकियों की गिरफ्तारी हुई थी। इसके बाद सितंबर 2018 में चकेरी इलाके से हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकी गिरफ्तार किया था। किये गए थे।

रविवार को लखनऊ के काकोरी इलाके में पकडे गए अलक़ायदा के संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद राजधानी समेत पुरे यूपी में हड़कंप मच गया है। एटीएस के आइजी डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि गिरफ्तार आतंकी पहले स्लीपर सेल में थे और पिछले कई दिनों से कश्मीर में एक्टिव होने के बाद यूपी में सीरियल ब्लास्ट की योजना पर अम्ल करने के मकसद से लखनऊ पहुंचे थे।

डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि सीरियल ब्लास्ट का प्लान पाकिस्तान के हैंडलर ने बनाया था जबकि इसको अंजाम देेने के तरीके पर अफगानिस्तान में शोध किया गया। अल कायदा के सरगना अल जवाहिरी ने भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और अफगानिस्तान के लिए अल कायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट की स्थापना की थी। इस संगठन के कई आतंकी हाल के वर्षों में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

राजधानी में अलक़ायदा के आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद लखनऊ और अयोध्या समेत पुरे प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार आतंकियों के निशाने पर सत्तारूढ़ दल के शीर्ष नेताओं के आलावा प्रदेश के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल भी थे।

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