शरणार्थी नाव में सवार होकर यूरोप (Europe) में शरण लेने के लिए अटलांटिक की खतरनाक यात्रा पर निकले लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. बता दें कि अटलांटिक महासागर में शरणार्थियों से भरी एक नाव पलटने से 58 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है। ये सभी शरणार्थी (Migrants) पश्चिमी अफ्रीकी देश (West African Nation) गाम्बिया (Gambia) के रहने वाले थे।
गौरतलब है कि न्यूज एजेंसी एपी ने यूएन माइग्रेशन एजेंसी (UN Migration Agency) के हवाले से खबर दी है कि हादसे का शिकार होने वाली नाव में दर्जनों की संख्या में शरणार्थी थे। अनुमान लगाया जा रहा है कि नाव में लगभग 150 शरणार्थी सवार थे। इनमें से 83 लोगों ने नाव डूबने के बाद तैरकर किसी तरह अपनी जान बचा ली। हादसे की सूचना मिलते ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया गया। बताया जा रहा है कि अब तक 58 शरणार्थियों के शव समुद्र से बरामद किए जा चुके हैं। आशंका व्यक्त की जा रही है कि मृतकों की संख्या इससे ज्यादा हो सकती है। यूएन माइग्रेशन एजेंसी ने बुधवार को हादसे की रिपोर्ट जारी की है।
शरणार्थियों के लिए काम करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन के मुताबिक यूरोप में शरण लेने का प्रयास करने के दौरान इस साल (2019 में) शरणार्थियों के साथ होने वाली ये सबसे बड़ी दुर्घटना है। दुर्घटना के वक्त नाव में कम से कम 150 शरणार्थी सवार थे। अटलांटिक महासागर में यात्रा के दौरान उत्तर पश्चिमी अफ्रीका (Northwest Africa) के देश मॉरिटानिया (Mauritania) को करीब नाव का ईंधन लगभग खत्म हो चुका था।
83 लोगों को जिंदा बचाया गया
हादसे की सूचना मिलने पर मॉरीटानिया के अधिकारियों (Mauritanian Authorities) द्वारा नाव में सवार लोगों को बचाने का प्रयास किया गया। मॉरीटानियन अधिकारियों ने तुरंत उत्तरी शहर नौदहिबौ (Northern City of Nouadhibou) में राहत-बचाव कार्य शुरू किया और जान बचाने के लिए समुद्र में तैर रहे 83 लोगों को जिंदा निकाल लिया गया। इन सभी का मॉरीटानिया में इलाज चल रहा है।
नाव में महिलाएं और बच्चे भी थे सवार
जीवित बचे लोगों ने यूएन माइग्रेशन एजेंसी को बताया कि नाव में काफी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी सवार थे। ये नाव 27 नवंबर को सेनेगल से सटे पश्चिमी अफ्रीकी देश गाम्बिया से शरणार्थियों को लेकर यूरोप के लिए रवाना हुई थी। माइग्रेशन एजेंसी के साथ मॉरीटानिया में राहत व बचाव कार्य की प्रमुख लौरा लुंगरोती (Laura Lungarotti) ने बताया, ‘मॉरिटानियन अथॉरिटीज पूरी क्षमता से राहत व बचाव कार्य में जुटी हुई है। नौदहिबौ में अब भी राहत व बचाव कार्य जारी है।’
यूएन माइग्रेशन एजेंसी के अनुसार पश्चिमी अफ्रीका का बेहद छोटा देश होने के बावजूद वर्ष 2014 से 2018 के बीच गाम्बिया से यूरोप पहुंचने वाले शरणार्थियों की संख्या 35 हजार से ज्यादा थी। राष्ट्रपति याह्या जममेह के 22 साल के दमनकारी शासन ने देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर क्षति पहुंचाई है। इसका सबसे ज्यादा असर गाम्बिया के युवाओं पर पड़ा है। यही वजह है कि गाम्बिया से काफी संख्या में लोग यूरोप या किसी अन्य देश में शरण लेने के लिए अक्सर ऐसी खतरनाक यात्राओं पर निकलते रहते हैं। वर्ष 2016 में राष्ट्रपति जममेह सत्ता से बेदखल हो गए और फिर जनवरी 2017 में वह देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद यूरोपीयन देशों ने उनके यहां शरण लेने वालों को वापस भेजना शुरू कर दिया है। हालांकि, गाम्बिया की अर्थव्यवस्था अब भी बदहाल स्थिति में है।