दुनियाभर में कोरोना को लेकर अभी कोई राहत मिलते हुई नही दिख रही है. आपको बता दें कि ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में ये समझा जाता रहा है कि एक बार बीमार होने के बाद जो लोग ठीक हो जाएंगे, उनमें इम्यूनिटी डेवलप हो जाएगी. हालांकि, कोरोना वायरस नई बीमारी है और इसको लेकर अभी पर्याप्त रिसर्च का अभाव है.
बता दें कि ऐसे में मेडिकल एक्सपर्ट लोगों को सतर्क रहने की सलाह देते रहे हैं. लेकिन कई देश ठीक होने वाले मरीजों को इम्यूनिटी पासपोर्ट देने की तैयारी में भी जुट गए हैं. अब ऐसे लोगों के लिए निराशा वाली खबर सामने आई है.thetimes.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम ने कोरोना वायरस फैमिली के वायरस को लेकर 10 लोगों की लंबे वक्त तक जांच की.
वहीं चार अलग-अलग कोरोना वायरस को लेकर 35 सालों तक 10 लोगों पर स्टडी की गई. यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम की स्टडी में ये सामने आया है कि कोरोना वायरस फैमिली से संक्रमित होने वाले लोग संभवत: सिर्फ 6 महीने तक इम्यून रहते हैं. इसके बाद दुनियाभर की ‘इम्यूनिटी पासपोर्ट’ स्कीम पर सवाल उठ सकते हैं.
बता दें कि कई देश ये तैयारी कर रहे हैं कि जो लोग कोरोना से ठीक हो जाएंगे उन्हें इम्यूनिटी पासपोर्ट देकर काम पर भेजा जाएगा और उन्हें सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने की जरूरत नहीं होगी.रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस फैमिली के 4 वायरस (इनमें Covid-19 शामिल नहीं है) से कॉमन कोल्ड पैदा होता है. स्टडी में पता चला कि इससे लोगों के शरीर में काफी कम वक्त के लिए इम्यूनिटी पैदा होता है.
यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के रिसर्चर्स का कहना है कि 12 महीने के बाद देखा गया कि ठीक हो चुके लोग कोरोना फैमिली के वायरस से दोबारा संक्रमित हो गए. बता दें कि Covid-19 कोरोना वायरस फैमिली का ही नया वायरस है जो दुनियाभर में महामारी का रूप ले चुका है. ऐसे में कोरोना फैमिली के अन्य वायरस पर की गई स्टडी Covid-19 को समझने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है.