206 दिन बाद रूस से भारत लाया गया शव, झकझोर देने वाली है हितेंद्र की Story

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उदयपुर। कुछ पैसे कमाने के मकसद से राजस्थान के उदयपुर में रहने वाले हितेंद्र गरासिया अपना घर-परिवार छोड़कर बीते कुछ समय पहले रूस चले गए थे लेकिन वहां कुछ ऐसा हुआ कि उनकी मौत हो गई। परिजनों को उनका शव लाने के लिए 206 दिनों तक संघर्ष करना पड़ा। ऐसे में जब हितेंद्र का शव उदयपुर की खेरवाड़ा तहसील का गोड़वा गांव लाया गया तो वहां के हर शख्स की आंखों में आंसू आ गए। शव के गांव पहुंचने के बाद सभी औपचारिकताएं पूरी करके परिजनों ने रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया।

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रूस से दिल्ली और फिर गांव पहुंचा शव

बता दें कि हितेंद्र का शव दो दिन पहले रूस से दिल्ली पहुंचा था इसके बाद कल जयपुर लाया गया जहाँ उसका पोस्टमार्टम हुआ फिर शव मंगलवार को उनके पैतृक गांव गोड़वा लाया गया। परिजन जब ताबूत में बंद शव लेकर लगभग 12 बजे गांव पहुंचे तो बड़ी भीड़ जमा हो गई। वहाँ मौजूद हर किसी के चेहरे पर मायूसी दिख रही थी। इस दौरान डीएसपी विक्रम सिंह सहित पुलिस के तमाम आला अधिकारी और 5 थानों की फोर्स भी मौजूद रही। हितेंद्र का अंतिम संस्कार दोपहर में किया गया।

यह है पूरी कहानी

दरअसल, 13 अप्रैल 2021 को हितेंद्र गरासिया एक एजेंट के माध्यम से कमाई करने के मकसद से रूस गया था। वहां किन्ही परिस्थितियों बस 17 जुलाई को उसकी मौत हो गई थी। इस मामले की सूचना एक महीने बाद रूसी सरकार ने हितेंद्र के परिवार वालों को दी। बस तब से परिवार शव को भारत लाकर गांव में अंतिम संस्कार के लिए संघर्ष कर रहा था। इस लड़ाई में उसके परिजन शव को भारत लेन की कार्रवाई में जुट गए।

उन लोगों ने मानवाधिकारी आयोग से लेकर विदेश मंत्रालय और हाईकोर्ट तक गुहार लगाई। जंतर मंतर से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर तक धरना दिया। पीएम, राष्ट्रपति और विदेश मंत्र को पत्र लिखे। आत्मदाह की चेतावनी दी। प्रियंका गांधी से भी परिवार से भी मुलाकात की तब कहीं जाकर हितेंद्र का शव भारत लाया जा सका।

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