कृषि कानून पर SC के केंद्र सरकार को दिए गए जख्मों पर कांग्रेस ने भी छिड़का नमक

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शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

सोमवार सुबह से ही केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य सरकारों के साथ कोरोना टीकाकरण को लेकर तैयारी में जुटे हुए थे, लेकिन दोपहर होते-होते सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानून और किसानों के समर्थन में केंद्र को बड़ी फटकार लगाते हुए कई सवाल खड़े किए ।

जिसके बाद ‘भाजपा सरकार का चेहरा मुरझा गया, जब इस बात की कांग्रेस को जानकारी हुई तो उसने केंद्र सरकार के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया’।

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब हजारों की संख्या में कई राज्यों के किसान डेढ़ महीने से दिल्ली बॉर्डर में कड़कड़ाती ठंड में डेरा जमाए हुए हैं ।

‘सबसे बड़ी बात यह रही कि आज चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने केंद्र सरकार से साफतौर पर कह दिया कि आपका यह कृषि कानून देश के लिए घातक है’ ।

उसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने इस कानून को लेकर केंद्र सरकार से कई सवाल पूछे ।

‘बोबडे ने सरकार से कहा कि कृषि कानूनों पर आपने रोक नहीं लगाई तो, हम रोक लगा देंगे, इस मामले को आप सही तरीके से हैंडल नहीं कर पाए तो हमें कुछ एक्शन लेना पड़ेगा’ ।

दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट से और समय मांगा तो चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि ‘हमें धैर्य पर लेक्चर मत दीजिए’।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से दो टूक पूछा कि क्या आप ‘कानून को होल्ड कर रहे हैं या नहीं, अगर नहीं तो हम कर देंगे’ । कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक्शन के बाद कांग्रेस भी केंद्र सरकार के प्रति आक्रामक मूड में है ।

कृषि कानून पर केंद्र सरकार से स्थित नहीं संभल रही है: सुप्रीम कोर्ट

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि कृषि कानून पर मोदी सरकार स्थित को संभाल नहीं पा रही है । मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश की स्थिति खराब हो रही है किसान आत्महत्या कर रहे हैं । यही नहीं कड़कड़ाती ठंड में महिलाओं और बूढ़े लोगों के दिल्ली में जमा होने पर भी सरकार को फटकार लगाई ।

चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने ऐसा कानून बनाया जिसका विरोध हो रहा है, लोग स्ट्राइक पर हैं । बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है ।

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियों पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी

ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके । अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमारे पास अब तक एक भी ऐसी अर्जी नहीं आई, जो कहती हो कि कृषि कानून अच्छे हैं।

अगर ऐसा है तो किसान यूनियनों को कमेटी के सामने कहने दें कि कृषि कानून अच्छे हैं। सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि हमें ये बताइए कि आप कानूनों के अमल को रोकना चाहते हैं या नहीं, दिक्कत क्या है।

सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियों पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी । कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद बिल वापसी और माफी मांगते हुए भाजपा सरकार का किसान विरोधी रवैया नरम पड़ना चाहिए और आज भाजपा सरकार को ये मानना चाहिए कि वो काले कानूनों के जरिए किसानों के विनाश की पटकथा लिख रही थी और किसानों का आंदोलन सही है ।

अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कृषि कानून पर विपक्षी नेताओं को सोनिया गांधी केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर एकजुट कर सकती हैं । बता दे कि इसी महीने के आखिरी में संसद का बजट सत्र भी शुरू हो रहा है ।

कांग्रेस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद पीएम मोदी को इस्तीफा दे देना चाहिए

‘कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट के केंद्र सरकार पर सख्त लहजे में की गई टिप्पणी के बाद कांग्रेस गदगद है’ । आनन-फानन में ‘कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट को आखिरकार कहना पड़ा कि आपसे नहीं होता तो हम कानून पर रोक लगा देते हैं’ ।

सुरजेवाला ने कहा कि ऐसा 73 सालों में किसी सरकार के साथ नहीं हुआ होगा, उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी को देश और किसानों से माफी मांगनी चाहिए और तीनों कानूनों को रद करना चाहिए। अब आने वाले दिनों में कांग्रेस मोदी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर आक्रामक रवैया अपनाएगी ।

कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने बीजेपी सरकार पर ‘जिद्दी-घमंडी रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया । आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी 15 जनवरी को सभी राज्यों में ‘किसान अधिकार दिवस’ मनाएगी और उसके नेता एवं कार्यकर्ता राजभवनों का घेराव करेंगे ।

रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि ‘समय आ गया है, मोदी सरकार देश के अन्नदाता की चेतावनी को समझे, क्योंकि अब देश के किसान काले कानून खत्म करवाने के लिए करो या मरो की राह पर चल पड़े हैं।

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