मोदी सरकार के इस फैसले पर मंडराया खतरा, एक याची ने शीर्ष अदालत से कर दी इस बात की मांग

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नई दिल्ली॥ नागरिकता संशोधन बिल (कैब) के विरूद्ध सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका गुरुवार को दाखिल हो गई है। इंडियन यूनि़यन मुस्लिम लीग (IUML) के 4 सांसदों ने अपनी याचिका में बताया कि धर्म के आधार पर वर्गीकरण की संविधान आज्ञा नहीं देता। नागरिकता संशोधन बिल (कैब) संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इसलिए नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को रद्द किया जाए।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन बिल के विरूद्ध अर्जी दाखिल कर दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कपिल सिब्बल इस मामले में पैरवी कर सकते हैं।

संसद ने बुधवार को नागरिकता संशोधन बिल को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरि़कता प्रदान करने का प्रावधान है। राज्यसभा ने बुधवार को विस्तृ़त चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया। विधेयक के पक्ष में 125 मत पड़े, जबकि 105 सदस्यों ने इसके विरूद्ध मतदान किया। बता दें कि लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

नागरिकता संशोधन बिल पर पीएम मोदी ने बताया कि मैं असम के लोगों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि उन्हें इस बिल के पास होने पर चिंता करने की जरूरत नहीं है। कोई भी आपकी पहचान, अधिकार और संस्कृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा। ये फलती-फूलती रहेगी।

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