इस विभाग के अफसर कभी भी बदल सकते हैं अपना नाम और जन्मतिथि, प्रत्यावेदन की भी जरूरत नहीं!

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लखनऊ।। उत्तर प्रदेश वन निगम के डिवीज़नल सेल्स ऑफिसर के खिलाफ अभिलेखों में हेराफेरी करके नाम और जन्मतिथि की तारीख बदले जाने को लेकर शिकायतकर्ता राजेश शर्मा की शिकायत पर प्रबंध निदेशक ने जाँच के आदेश दिए थे। शिकायत के मुताबिक बहराइच में तैनात वन निगम के अधिकारी दविंदर सिंह (परिवर्तित नाम ) पर आरोप है कि उन्होंने विभागीय मिलीभगत से सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी करके अपना नाम और जन्मतिथि बदलवा ली है।

शिकायत में कहा गया है कि वन निगम के इस अफसर ने हेराफेरी करके उन्होंने अपना नाम देवेंद्र सिंह से बदल कर दविंदर सिंह करवा लिया है और इतना ही नहीं जन्म तिथि को भी बदलकर 15-06-1954 से 15-06-1964 करवा लिया है।

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शिकायतकर्ता एडवोकेट राजेश शर्मा द्वारा मंत्री से इस सम्बन्ध में अभिलेखों सहित एक शिकायती पत्र दिया गया था, जिसमें उन्होंने मामले को गंभीर बताते हुए उच्च स्तर से जाँच कराये जाने की मांग की थी।

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शिकायतकर्ता ने दविंदर सिंह( पूर्वर्ती नाम देवेंद्र सिंह) का जॉयनिंग से लेकर 2002 तक की सीनियारटी लिस्ट के साथ-साथ नियुक्ति पत्र भी शिकायतपत्र के साथ संलग्न किया। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा प्रकरण की जाँच के लिये एक वरिष्ठ अधिकारी को अधिकृत भी कर दिया गया।

शिकायत के बाद वन निगम में हड़कंप भी मचा साथ ही निगम के कुछ अधिकारियों ने अपना नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया कि मामला पूरी तरह से संदिग्ध है। अगर किसी ईमानदार से निष्पक्ष रूप से इसकी जाँच करवाई जाये तो मामला खुल सकता है।

आपको बता दें कि तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने इस पुरे मामले की जाँच जीएम तेंदूपत्ता एस के शर्मा को सौंपी। निगम में ईमानदार अफसर माने जाने वाले एस के शर्मा ने जाँच शुरू की और नियमानुसार शिकायतकर्ता अधिवक्ता राजेश कुमार शर्मा से संबंधित अभिलेख भी मांगे। शिकायतकर्ता राजेश शर्मा ने मांगे गए समस्त अभिलेख शपथ-पत्र पर उपलब्ध भी करवा दिया।

महीनों जाँच चलती रही। निगम के ईमानदार माने जाने वाले जीएम तेंदूपत्ता एस के शर्मा ने शिकायतकर्ता से बातचीत के दौरान माना भी कि मामला गंभीर है। इधर जैसे ही दविंदर सिंह( पूर्वर्ती नाम देवेंद्र सिंह) को भनक लगी कि जीएम तेंदूपत्ता ने जाँच शुरू कर दी है। उसने विभागीय अधिकारियों के लामबंद होकर जाँच की पूरी दिशा ही बदल दी। यहाँ तक कि शिकायत का मूल बिंदु (जन्मतिथि बदले जाने की बात) को ही जाँचकर्ता अधिकारी एस के शर्मा से मिलीभगत करके गायब करवा दिया।

इधर काफी दिन बीत जाने के बाद जब शिकायतकर्ता राजेश कुमार शर्मा को कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं मिली तो उन्होंने मामले की जानकारी की। पता चला कि जांचकर्ता जीएम तेंदूपत्ता एस के शर्मा ने आरोपी दविंदर सिंह( पूर्वर्ती नाम देवेंद्र सिंह) से सांठ-गांठ करके अपनी रिपोर्ट सबमिट कर दी है। साथ में यह भी पता चला कि आरोपी अधिकारी दविंदर सिंह( पूर्वर्ती नाम देवेंद्र सिंह) को जाँच रिपोर्ट में क्लीनचिट दे दी गयी है।

इस प्रकरण को लेकर जब यूपी किरण के संवाददाता ने मामले के जाँच अधिकारी जीएम तेन्दु पत्ता एस के शर्मा से बात की तो उनका कहना था कि विभाग के द्वारा नाम और जन्मतिथि गलत हुई थी, जिसे विभाग ने बाद में सही कर दिया था। यह पूछे जाने पर कि नाम और जन्मतिथि बदले जाने को लेकर कोई प्रत्यावेदन या अनुरोध किया गया था तो इस पर जीएम तेन्दु पत्ता का कहना था कि उसकी कोई जरूरत ही नहीं।

वस्तुस्तिथि की जानकारी होते ही शिकायतकर्ता ने वर्तमान प्रबंध निदेशक राजीव कुमार से मामले को लेकर बात की और बताया कि कैसे जांचकर्ता जीएम तेंदूपत्ता एस के शर्मा ने समस्त साक्ष्यों को नकारते हुए जाँच रिपोर्ट में एक भ्रष्ट अफसर को क्लीनचिट दे दी। प्रबंध निदेशक राजीव कुमार ने शिकायतकर्ता से एक नया प्रत्यावेदन लेते हुए निगम के अपर प्रबंध निदेशक स्तर के अधिकारी से जाँच के आदेश देने की बात कही। साथ ही शिकायतकर्ता को निष्पक्ष जाँच का भी भरोसा दिलाया।

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