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पिछले एक महीने से हमास व इजरायल के मध्य जारी वॉर में ईरान ने बढ़चढ़कर मुस्लिम मुल्कों को इजरायल के विरूद्ध करने की भूमिका निभाई। मगर अब उसकी अकड़ कम होने लगी हैं। ईरान ने दबी जुबान में साफ कह दिया है कि वो यहूदी देश के विरूद्ध वॉर में हमास का साथ नहीं देने वाला है। इसके साथ साथ वो मुस्लिम मुल्कों की गोलबंदी से भी पीछे हट रहा है।

आखिर अचानक बदली इन हालातों के पीछे कौन है? कौन नहीं चाहता कि इस्लामिक मुल्क इस युद्ध में इजरायल के विरूद्ध न हो। यदि ऐसा हुआ तो अमेरिका कार्रवाई कर सकता है।

जी हां, अमेरिका ने अंदर ही अंदर इस्लामिक देशों की घेराबंदी करनी शुरू कर दी है और अपने सैनिकों को खुफिया अड्डों पर तैनात कर चुका है। अमेरिका को इस बात का भय था कि इजरायल के विरूद्ध इस्लामिक मुल्क एक हो सकते हैं और मुसीबतें पैदा कर सकते हैं। रिपोर्ट की मानें तो अमेरिका ने इस्लामिक देशों में जॉर्डन की सरहद के करीब निगरानी करनी शुरू कर दी है।

यूएसए को इस बात की पहले से ही चर्चा थी कि पश्चिम एशिया में हालात के बिगड़ने से मुस्लिम मुल्क इजरायल पर हावी हो सकते हैं। जब से हमास और इजरायल के मध्य युद्ध शुरु हुआ है तब से ही ईरान लेबनान के हिजबुल्ला का खौफ दिखाकर इजरायल को डरा रहा था। मगर अब अमेरिकी एक्शन से मुस्लिम मुल्कों के तेवर पस्त पड़ गए हैं। रिपोर्ट्स की मानें तो जॉर्डन के मुस्तफा हवाई अड्डे पर अमेरिका ने अपने लड़ाकू विमान को तैनात कर दिया है। माना जा रहा है कि अमेरिकी सैनिकों की तैनाती से ईरान डरा हुआ है। इसलिए बताया जा रहा हैकि हमास को अब मदद नहीं कर पाएगा।

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