आज हम आपको ऐसे भारतीय केंद्रीय मंत्री के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका बेटा कभी पाकिस्तान सेना में उच्च पद पर काबिज था.
बात है उस दौर की जब आजाद हिंद फौज के बड़े अफसर जनरल शाह नवाज खान काफी लोकप्रिय हुआ करते थे. खान का जन्म पाकिस्तान (तब अविभाज्य भारत) के रावलपिंडी जिले के मटोर गांव में हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने पढाई भी वही से की थी. इसके बाद में वह ब्रिटिश सेना में कैप्टेन बने.
जनरल शाह नवाज खान चर्चा में तब आए जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिन्द फौज में शामिल हो गए. वहां नेताजी के करीबी लोगों में रहने के साथ आजाद हिंद फौज में मेजर जनरल थे. इतिहास में मिले तथ्यों के आधार पर जब आजाद हिन्द फौज ने समर्पण किया, तब ब्रिटिश सेना ने उन्हें पकड़कर लाल किले में डाल दिया. प्रसिद्ध लाल किला कोर्ट मार्शल ट्रॉयल हुआ.
कोर्ट मार्शल के वक़्त देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उनके लिए वकालत की. आज़ाद हिन्दुस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतारकर तिरंगा लहराने वाले जनरल शाहनवाज ही थे.
इनका पूरा परिवार रावलपिंडी में ही रहता था, इनकी तीन बेटियां और तीन बेटे थे. आजादी के समय जब देश का बंटवारा हुआ तो वो हिन्दुस्तान से मोहब्बत के चलते यहां आ गए.
बात 1965 की है जब युद्ध छिड़ा तो शाहनवाज तब लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में कृषि मंत्री थे. उनके इस बेटे का नाम महमूद नवाज अली था. उस समय अचानक ये खबर फैलने लगी कि उनका बेटा पाकिस्तानी सेना की ओर से भारत के खिलाफ लड़ाई में हिस्सा ले रहा है.
आपको बता दें कि जब तक महमूद नवाज पाकिस्तानी सेना में रहे, तब तक अपने पिता से कभी नहीं मिल सके, क्योंकि सेना का नियम उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता था लेकिन रिटायरमेंट के बाद वो पिता से मिलने जरूर भारत आए.