नई दिल्ली॥ कोविड-19 महामारी के चलते भारत के कई प्रदेशों में फंसे 198 पाकिस्तानी वीरवार सुबह इंटरनेशनल अटारी सड़क सीमा से अपने वतन रवाना हो गए। इनमें हिंदुस्तानी मूल की पाकिस्तान में ब्याही कई महिलाएं भी शामिल थीं।
अटारी बॉर्डर पर तैनात प्रोटोकॉल अधिकारी अरुण पाल सिंह के अनुसार दोपहर तक 60 से अधिक पाकिस्तानी सीमा पार कर चुके थे। पाकिस्तान जाने वाले सभी नागरिकों की मेडिकल जांच उन शहरों में हो चुकी है, जहां वह रुके थे।
पाकिस्तान लौट रही सलमा चौधरी ने बताया कि वह लगभग 7 माह बाद अपने घर जा रही है। घर पर उसका सात साल का बेटा और पति इंतजार कर रहे हैं। सहारनपुर की रहने वाली सलमा का विवाह नौ वर्ष पहले कराची में हुआ था। लॉकडाउन लागू होने के 15 दिन पहले वह अपने मायके सहारनपुर आई थी। सलमा ने बताया कि वह अपने बेटे से मिलने की लिए उत्साहित है।
भारतीय विदेश मंत्रालय का शुक्रिया जिन्होंने कोविड-19 के दौरान बेटियों को अपने ससुराल जाने के लिए मंजूरी दी है। सलमा कहती हैं कि हालांकि मायके में मुझे कोई परेशानी नहीं थी। वह अपने मां-बाप व भाई बहनों के साथ थी, मगर 7 वर्ष के बेटे को मिलने की चाहत उसे रुला देती थी। कराची में बेटे व पति से रोज मोबाइल पर बात हो जाती थी मगर जब बेटा यह पूछता था कि घर कब आओगे तो आंसू रोकना मुश्किल हो जाता था।
शगुफ्ता का कहना है कि वह अपनी बीमार मां से मिलने मायके आई थी। इसके तीन दिन बाद ही लॉकडाउन लागू हो गया था। परिवार पाकिस्तान में है। अटारी पहुंच गई हूं, अब जल्दी बच्चों के पास पहुंच जाऊंगी, यह सोच कर ही सीमा के उस पार खड़े पति व बच्चों की तरफ कदम अपने आप आगे बढ़ रहे हैं।
शगुफ्ता के मुताबिक हिंदुस्तान और पाकिस्तान दोनों देश रिश्ते हैं। हिंदुस्तान की माटी में मैं पैदा हुई हूं। ये हिंदुस्तान मुझे बहुत अजीज है। पाकिस्तान मेरे पति का घर है। वह भी दिल के करीब है। दोनों देशों की सरकारों का शुक्रिया, जिन्होंने पाकिस्तानी लोगों को अपने-अपने घरों में भेजने का प्रबंध किया।